क़रीब दिल के रहें किस तरह वो याराने जो बात बात प लगते हों हमको बेगाने लुटा दी जान जिन्होंने वफ़ा की राहों में हुए ज़माने में मशहूर उनके अफ़साने सराब कहते हैं ख़ुशियों को सिर्फ़ लोग वही गए कभी नहीं जिनके दिलों से वीराने कोई तो मुझको बताए कि ज़िक्र पर उसके मैं अपने अश्क़ पिऊँ या कि जाऊँ मयख़ाने असर था माँ की दुआओं का उस प जो हँसकर उदास आँख में उतरा वो ख़्वाब सहलाने झटक लिया उन्हीं ने हाथ ऐन वक़्त प जो हमें लगे थे शुरूआत से ही उकसाने नदी किनारे जो बैठे हैं जान लें “निर्मल” कोई न पार से आएगा उनको ले जाने
क़रीब दिल के रहें किस तरह वो याराने/ग़ज़ल/रचना निर्मल