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क़रीब दिल के रहें किस तरह वो याराने/ग़ज़ल/रचना निर्मल

क़रीब दिल के रहें किस तरह वो याराने
जो बात बात प लगते हों हमको बेगाने 

लुटा दी जान जिन्होंने वफ़ा की राहों में
हुए ज़माने में मशहूर उनके अफ़साने 

सराब कहते हैं ख़ुशियों को सिर्फ़ लोग वही 
गए कभी नहीं जिनके दिलों से वीराने

कोई तो मुझको बताए कि ज़िक्र पर उसके
मैं अपने अश्क़ पिऊँ या कि जाऊँ मयख़ाने

असर था माँ की दुआओं का उस प जो हँसकर
उदास आँख में उतरा वो ख़्वाब सहलाने 

झटक लिया उन्हीं ने हाथ ऐन वक़्त प जो
हमें लगे थे शुरूआत से ही उकसाने

नदी किनारे जो बैठे हैं जान लें “निर्मल”
कोई न पार से आएगा उनको ले जाने

लेखक

  • रचना निर्मल जन्मतिथि - 05 अगस्त 1969 जन्म स्थान - पंजाब (जालंधर) शिक्षा - स्नातकोत्तर प्रकाशन- 5 साझा संग्रह उल्लेखनीय सम्मान/पुरस्कार महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार, कई राष्ट्रीय व क्षेत्रीय स्तर पर पुरस्कार संप्रति - प्रवक्ता ( राजनीति विज्ञान) संपर्क - 202/A 3rd floor Arjun Nagar

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