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Month: दिसम्बर 2024

मैं स्त्री हूँ /कविता/नन्दिता शर्मा माजी

मैं स्त्री हूँ, प्रायः घर की देवी भी कहलाती हूँ, कहीं प्रताड़ित, तो कहीं पूजी जाती हूँ, कहीं मेरा मान-सम्मान किया जाता है, कहीं मुझे कोख में ही मार दिया जाता है, कभी बड़े चाव से सोलह श्रृंगार करते है, कभी भरी सभा में मेरा वस्त्र भी हरते है, कभी वंश वृद्धि के लिए सिर […]

संहार शेष है/कविता/नन्दिता शर्मा माजी

कल्कि के धनुष की अभी, टंकार शेष है, कितनी ही सुताओं का, प्रतिकार शेष है, तीर, तलवारों से अभी श्रृंगार शेष है, शस्त्र उठा लो बेटियों, संहार शेष है, अंहकारियों के माथ का अहंकार शेष है, माँ, बहन, बेटियों की, हुंकार शेष है, निर्भया की अस्थियों में, अंगार शेष है, शस्त्र उठा लो बेटियों, संहार […]

रहे याद जो वो फसाना लिखेंगे/ग़ज़ल/नन्दिता शर्मा माजी

रहे याद जो वो फसाना लिखेंगे। कलम से पुराना ज़माना लिखेंगे।। तुम्हीं से गुलिस्तां सहर शाम मेरे। मुहब्बत भरा इक तराना लिखेंगे।। जरा सा सहारा मिला जो तुम्हारा। उसे हम हमारा खज़ाना लिखेंगे।। कहे गर ज़माना बताओ पता अब। तुम्हारे नयन को ठिकाना लिखेंगे।। लबों पर तबस्सुम रहेगी हमेशा। हक़ीक़त सनम हम छुपाना लिखेंगे।। पता […]

माया/कुण्डलिया/नन्दिता माजी शर्मा

जंगल-जंगल ढूँढ़ता, मृग कस्तूरी गन्ध। निज कुंडलि देखे नहीं, हुआ मोह में अन्ध।। हुआ मोह में अन्ध, खोज में इत-उत भटके। कानन कानन ढूँढ़, भ्रमित मन वन में अटके।। माया का यह बन्ध, डाल वह करता दंगल। अन्तस छिपी सुगन्ध, ढूँढ़ता जंगल-जंगल।।

लेखक की सैर/कुण्डलिया/नन्दिता माजी शर्मा

लेखक निकला हाट में, सोचा कर लूं सैर। यारी सारी खो गई, आया लेकर बैर।। आया लेकर बैर, प्रीति के पल्लव खो कर। लौटा करके सैर, बैर के अंकुर बो कर।। लेकर अपना जाल, खड़े पग-पग हैं भेदक। अपने सपने छोड़, इन्हीं से लड़ता लेखक।।

घुमड़ रहे हैं घन विकराले/सजल/नन्दिता माजी शर्मा

घुमड़ रहे हैं घन विकराले। दबे जा रहे विमल उजाले।। साधु-संत-मुनि ध्यानमग्न सब। काम,लोभ, मद मन में पाले।। कम कृतित्व है अधिक दिखावा। अधजल-गगरी नीर उछाले।। लाल महावर सजा पगों में। झाँक रहे हैं तलवे काले।। ढोल पीटते पर-दोषों का। निज पर लोगों के मुख ताले।। विवश क्षुधा से भिक्षु विकल है। नालों में नित […]

जिंदगी/सजल/नन्दिता माजी शर्मा

जिंदगी यह जीत भी है हार भी। फूल भी है और यह अंगार भी।। हर तरफ आघात ही आघात है। अब नहीं दिखता कहीं उपकार भी।। कर्म से ही हो सफल संकल्प शुभ। गूँज जाती जीत की गुंजार भी।। हो समर्पित मन-वचन-कर्म से मनुज। मोड़ देता है समय की धार भी।। एक छोटी चूक कर […]

मन की बात – दोहों के साथ/दोहा/ नन्दिता माजी शर्मा

मन की बात – दोहों के साथ विनती करती नन्दिता, सुन लो मन की बात। करनी का संज्ञान लो, हो कोई भी जात।।१।। मन में हो सद्भावना, शिक्षित हो परिवार। संस्कृति का उत्थान हो, मन से मिटे विकार।।२।। अधिकारों को यश मिले, हो रक्षित परिवेश। दुष्कर्मौं का नाश हो, द्वेष न रखना न लेश।।३।। आत्मनिर्भर […]

क्रोध पर दोहे/दोहा/ नन्दिता माजी शर्मा

क्रोध में उठना उठते हैं जो क्रोध में, बिगड़े उनके काम। जलते हैं वे कोप वश, प्रतिदिन आठों याम।। क्रोध में पूजन पूजन हो जब रोष में, मिलते नहीं दयाल। शीतल मन से जाप हो, करते ईश निहाल।। क्रोध में खाना भोजन हो जब क्रोध में, बिना लगाए भोग। सेहत को लगता नहीं, बढ़ते नाना […]

आओ रानी/कविता/नागार्जुन

आओ रानी, हम ढोयेंगे पालकी, यही हुई है राय जवाहरलाल की रफ़ू करेंगे फटे-पुराने जाल की यही हुई है राय जवाहरलाल की आओ रानी, हम ढोयेंगे पालकी! आओ शाही बैण्ड बजायें, आओ बन्दनवार सजायें, खुशियों में डूबे उतरायें, आओ तुमको सैर करायें– उटकमंड की, शिमला-नैनीताल की आओ रानी, हम ढोयेंगे पालकी! तुम मुस्कान लुटाती आओ, […]

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