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दर्द की आँच सीख लो सहना/ग़ज़ल/रवीन्द्र उपाध्याय

दर्द की आँच सीख लो सहना
चाहते हो अगर ग़ज़ल कहना

फायदा रेत-घर बनाने का
चन्द लम्हों में जिसे है ढहना

तैरने का गुमान तिनकों को
जिनको लाचार लहर में बहना!

सादगी वो कि रंग शर्माये
चाँद को चाहिए कहाँ गहना ?

शुभ्र चादर न दागदार बने
जब ले रहना कबीर-सा रहना ।

लेखक

  • रवीन्द्र उपाध्याय जन्म- 01.06.1953 विश्वविद्यालय प्राचार्य (से.नि.) विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग, बी. आर. ए. बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर। शिक्षा- एम. ए. (हिन्दी), पी-एच. डी. प्रकाशित कृतियाँ : बीज हूँ मैं (कविता संग्रह), धूप लिखेंगे-छाँह लिखेंगे (गीत-ग़ज़ल संग्रह), देखा है उन्हें (कविता संग्रह) संपर्क : दाऊदपुर कोठी, पत्रालय- एम. आई. टी., मुजफ्फरपुर - 842003 (बिहार) मोबाइल नं.- 8102139125

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