झूठों का संसार है बाबा।
सच कितना लाचार है बाबा।।
इन्सां इन्सां से लड़ता है।
ज़ेहन से बीमार है बाबा।।
घर-घर में सब दीप जलाएं।
इससे कब इनकार है बाबा।।
द्रौपदी देखो फिर लुटती है।
अंधों का दरबार है बाबा।।
धर्म बताकर नंगा नाचें।
समझाना बेकार है बाबा।।
इश्क़-मुहब्बत तौबा-तौबा।
रस्ता ये दुश्वार है बाबा।।
जन्नत को हैं करते दोज़ख।
बतलाओ ये प्यार है बाबा।।
‘दर्द’ तुम्हारा कैसे गाएं।
गर्दन पर तलवार है बाबा।।
लेखक
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साहित्यिक नामः दर्द गढ़वाली मूल नामः लक्ष्मी प्रसाद बडोनी वर्तमान पताः बडोनी भवन फेज-1, डी-7 देवपुरम कालोनी, लोअर तुनवाला देहरादून (उत्तराखंड) साहित्यिक विधाः ग़ज़ल प्रकाशित कृतियांः 'तेरे सितम तेरे करम' (ग़ज़ल संग्रह) 'धूप को सायबां समझते हैं'(ग़ज़ल संग्रह) इश्क़-मुहब्बत जारी रक्खो (ग़ज़ल संग्रह) परवाज-ए-ग़ज़ल (साझा ग़ज़ल संग्रह ) एंजिल्स काव्य संग्रह (साझा ग़ज़ल संग्रह ) मंजिल की ओर (साझा ग़ज़ल संग्रह ) जीवन और प्रेम (साझा ग़ज़ल संग्रह) हिंदी ग़ज़ल के हजार शेर (उद्धृत शे'र) गुहर-ए-नायाब (देवनागरी लिपि में उद्धृत शे'र) साहित्य वाटिका पत्रिका, उन्नाव, उत्तर प्रदेश (ग़ज़ल) सम्मानः साहित्य साधक पुरस्कार, नई सुब्ह सम्मान, मन-आंगन साहित्यिक समूह सम्मान, नवाभिव्यक्ति सम्मान, अनकहे शब्द सम्मान, हिमालय पर्यावरण सोसायटी देहरादून की ओर से विशिष्ट सेवा सम्मान, सृजना साहित्यिक संस्था, प्रतापगढ़ की ओर से डा. सत्यनारायण सिंह सत्य सम्मान 2010 उपलब्धियांः गजल कुंभ दिल्ली, हरिद्वार, प्रतापगढ़ के अलावा उत्तराखंड संस्कृति विभाग की ओर से आयोजित कवि सम्मेलन /मुशायरा में काव्य पाठ। समय-समय पर दूरदर्शन देहरादून, आकाशवाणी देहरादून और मेरठ कवि सम्मेलन में काव्य पाठ। दूरदर्शन देहरादून में ए ग्रेड कलाकार की ओर से मेरी चार ग़जलों का गायन दैनिक समाचार पत्र जनमत टुडे में मेरा साक्षात्कार प्रकाशित-प्रसारित। उत्तराखंड भाषा संस्थान की ओर से आयोजित प्रतियोगिता में मूल्यांकन समिति के सदस्य। आर्मी स्कूल की जी-20 पर हुई हिंदी वाद विवाद प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में शामिल।
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