आंख से उनके जो हया निकले/ग़ज़ल/दर्द गढ़वाली
आंख से उनके जो हया निकले। मिलने-जुलने का रास्ता निकले।। रूह से तो निकल नहीं पाए। इक बदन से तो बारहा निकले।। शौक हो हमको आजमाने का। देखकर घर से आइना निकले।। जो वफाओं की बात करते थे। दोस्त मेरे वो बेवफा निकले।। देखकर भी हमें नहीं देखा। वो हमें करके […]