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ख़ून के आंसू यतीमों को रुलाते रहिए/ग़ज़ल/प्रेमकिरण

ख़ून के आंसू यतीमों को रुलाते रहिए प्यास अपनी इसी दरिया से बुझाते रहिए भूख अब भी न मिटी हो तो सियासतदानो! यूं ही कश्मीर को हर रोज़ जलाते रहिए हुस्न कश्मीर का हर रंग के फूलों से है इसको हर रंग के फूलों से सजाते रहिए चंद ताजिर वो विदेशों से बुला लाये हैं […]

काम अक्सर वो सियासत से लिया करते हैं/ग़ज़ल/प्रेमकिरण

काम अक्सर वो सियासत से लिया करते हैं ख़ास मकसद से हमें बांट दिया करते हैं अब तो हम अपने मुहाफ़िज़ की पनाहों में भी मौत की बांहों में दिन रात जिया करते हैं हमको आता ही नहीं झूठी बड़ाई करना दिल जो कहता है वही काम किया करते हैं तुम किसी और के कासे […]

जिंदगी का खोखलापन झांक कर देखेगा कौन/ग़ज़ल/प्रेमकिरण

जिंदगी का खोखलापन झांक कर देखेगा कौन ‘लोग तो फल-फूल देखेंगे शेर देखेगा कौन दश्त बे आबो-शजर है उस पे सूरज का जलाल तेज़ चलना है तो आदाबे-सफ़र देखेगा कौन गो अधूरी है रह गयी है उस परिंदे की उड़ान पुतलियों में ख़्वाब ज़िंदा है मगर देखेगा कौन सिर्फ़ ये सूखे हुए पत्ते नहीं हैं, […]

सैंकड़ो उन्वान देकर इक फ़साना बट गया/ग़ज़ल/प्रेमकिरण

सैंकड़ो उन्वान देकर इक फ़साना बट गया अब तो पुरखों का मकां भी ख़ाना ख़ाना बंट गया आज से पहले कभी आबो-हवा ऐसी न थी दिल बटा, नफ़रत बटी, फिर आशियाना बट गया शाम थी तो साथ थे सब दिन निकलते क्या हुआ पेड़ के हर इक परिंदे का ठिकाना बट गया क़ौमी यकजहती का […]

बात ख़ासो-आम का बिंदास रखती है ग़ज़ल/ग़ज़ल/प्रेमकिरण

बात ख़ासो-आम का बिंदास रखती है ग़ज़ल दर्द के अनुवाद में विश्वास रखती है ग़ज़ल शब्द में हैं इक थिरकते मोर की सी मस्तियां बह्र को बहती नदी के पास रखती है ग़ज़ल बर्फ़ के घर में ठिठुरते आदमी के ज़ेह्न में एक टुकड़ा धूप का एहसास रखती है ग़ज़ल हर अंधेरी झोपड़ी में रौशनी […]