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मन कहता है मचल मचल के/गज़ल/संगीता श्रीवास्तव ‘सुमन’

मन कहता है मचल मचल के कपड़े पहनो अदल-बदल के हांफ रहे हो , भाग रहे हो जलवे देखो अगल-बगल के सच कहने पर पाबंदी है कुछ भी कहना संभल-संभल के ख़ूब तमाशे दिखा रहा है एक मदारी उछल-उछल के कथनी और करनी को देखो वादे करना बदल-बदल के चल संगीता मेले में चल छोड़ […]

वक़्त लाज़िम है ज़िंदगी के लिए/गज़ल/संगीता श्रीवास्तव ‘सुमन’

वक़्त लाज़िम है ज़िंदगी के लिए वक़्त होता नहीं किसी के लिए चांद तक आदमी जो पहुंचा है वक़्त अच्छा है इक सदी के लिए जिसकी ख़ातिर सजाए हैं सपने वक़्त मिलता नहीं उसी के लिए उसको रिश्तों का पास था ही नहीं रो रहा है वो हर किसी के लिए वक्त के पीछे भागना […]

ख़ुशबू -ए-लफ़्ज़ चारसू करना/गज़ल/संगीता श्रीवास्तव ‘सुमन’

ख़ुशबू -ए-लफ़्ज़ चारसू करना आप उर्दू में गुफ़्तगू करना देख दरिया में अक्स उसका है देख कर चांद को वज़ू करना कर लिया इश्क़ तो सुनो साहिब अब न खुशियों की आरज़ू करना रोज़ लहजा बदलने वालों से कितना मुश्किल है गुफ़्तगू करना मार डालेगी दिल की तन्हाई शोर जीवन का कू-ब-कू करना चिथड़े-चिथड़े है […]

उसको चौकीदार उसको पासबां क्यूं कर कहें/गज़ल/संगीता श्रीवास्तव ‘सुमन’

उसको चौकीदार उसको पासबां क्यूं कर कहें बोलो इक सैय्याद को हम बाग़बां क्यूं कर कहें और कब तक सब्र रक्खें नाक में दम कर दिया ज़िंदगी की मुश्किलों को इम्तिहां कब तक कहें धोका देते हैं शराफ़त के लबादे ओढ़ कर रहजनों को रहनुमा-ए-कारवां क्यूं कर कहें तू ही क़ातिल, तू ही मुंसिफ़ और […]

बहुत दिन बाद मेरे लब हिले हैं/गज़ल/संगीता श्रीवास्तव ‘सुमन’

बहुत दिन बाद मेरे लब हिले हैं तुम्हारी चाह में सब गुल खिले हैं न शिकवे हैं न अब कोई गिले हैं कभी ऐसे भी दिल से दिल मिले हैं रिज़र्वेशन के कोटे में रखा है बराबर से हमें कब हक़ मिले हैं ये दुनिया जानती है पीर अपनी रिवाजों के यहां बस सिलसिले हैं […]

बात होटों पे जो रुकी सी है/गज़ल/संगीता श्रीवास्तव ‘सुमन’

बात होटों पे जो रुकी सी है कोई हसरत नई- नई सी है उसकी बातों में ताज़गी सी है रोशनी ये खिली- खिली सी है नाग उस के हिसार में होंगे एक ख़ुशबू जो संदली सी है क्या मैं फैला दूं अपनी बाहों को धूप भी आज गुनगुनी सी है दिल भी कहता है बस […]

जब दिसंबर चल दिया है काम ले कर/गज़ल/संगीता श्रीवास्तव ‘सुमन’

जब दिसंबर चल दिया है काम ले कर बांह थामी जनवरी ने नाम ले कर दिन महीने साल बीते जा रहे हैं क्या करेगा कल नये पैग़ाम ले कर मेहनतों और मुश्किलों का क्या भरोसा जनवरी बैठा है क्या इन’आम ले कर? फोड़ दो आशाओं की गुल्लक तुम्हारी फिर से सपने दे रहा है दाम […]

मुस्कुराने लगे अरमान ज़रा देख तो लो/गज़ल/संगीता श्रीवास्तव ‘सुमन’

मुस्कुराने लगे अरमान ज़रा देख तो लो नक़्शे जज़्बात को इक आन ज़रा देख तो लो हिज्र का दौर गया वस्ल की आई मंज़िल मुश्किलें हो गयीं आसान ज़रा देख तो लो दिल की उजड़ी हुई दुनिया में तमन्ना आई बस गया घर जो था वीरान ज़रा देख तो जो किस क़दर बोझ सरे दोश […]

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