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बिखर रहा विश्वास आजकल/गज़ल/सत्यम भारती

बिखर रहा विश्वास आजकल
आम-जनों की आस आजकल

गांवों के सपने सलीब पर
शहरों में उल्लास आजकल

बहू रोज डिस्को जाती है
वृद्धाश्रम में सास आजकल

दिल्ली खून-पसीना पीती
नहीं बुझ रही प्यास आजकल

कविगण मिल कोरस गाते हैं
कविता बनी परिहास आजकल

देख मंच की हालत ‘सत्यम’
गदहों में उल्लास आजकल

लेखक

  • सत्यम भारती जन्म-20 मई 1995 जन्मस्थान- बेगूसराय, बिहार शिक्षा :- स्नातक, बीएचयू परास्नातक, जेएनयू नेट और जेआरएफ(हिंदी) पीएचडी(अध्ययनरत), हिंदी विश्वविद्यालय,वर्धा सम्प्रति- प्रवक्ता (हिंदी) राजकीय मॉडल इंटर कॉलेज नैथला हसनपुर, बुलंदशहर प्रकाशित कृतियाँ- बिखर रहे प्रतिमान (दोहा-संग्रह) सुनो सदानीरा (ग़ज़ल-संग्रह)

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