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आदमी क्या अगर गया पानी/गज़ल/आचार्य फज़लुर रहमान हाशमी

जब से सर से गुजर गया पानी
अपनी आंखों का मर गया पानी

घर डूबाकर हजार लाखों का
ढूंढता हूं किधर गया पानी

कितने दिन से जमीन प्यासी है
कोई लंबा सफर गया पानी

आ गई सामने वो जब मेरे
बन पसीना उतर गया पानी

देख कर लहलहाती फसलों को
यह हकीकत है डर गया पानी

हाशमी कह गए हैं यह रहिमन
आदमी क्या अगर गया पानी

लेखक

  • आचार्य फज़लुर रहमान हाशमी जन्म -09 जनवरी 1942, बराह, पटना अवसान -20जुलाई 2011, बेगूसराय, बिहार शिक्षा इंटर प्रशिक्षित, आचार्य, स्नातकोत्तर (अपूर्ण ) पेशा सरकारी सेवा, शिक्षा विभाग प्रकाशित कृतियां हिन्दी 1. रश्मि रशि ( हिंदी कविता) 2. मेरी नींद तुम्हारे सपने ( हिंदी गजल ) मैथिली 1. हरवाहक बेटी ( मैथिली खंडकाव्य ) 2. निर्मोही( मैथिली कविता) अनुवाद 1. अब्दुल कलाम आजाद ( मैथिली अनुवाद साहित्य अकादमी दिल्ली ) 2. मीर तकी मीर (मैथिली अनुवाद साहित्य अकादमी दिल्ली) 3. फिराक गोरखपुरी (मैथिली अनुवाद साहित्य अकादमी दिल्ली) सलाहकार - साहित्य अकादमी दिल्ली - उच्च भाषा समिति बिहार सरकार पुरस्कार -- साहित्य अकादमी नई दिल्ली - चेतना समिति दरभंगा - विद्यापति पुरस्कार दरभंगा उपाधि - आचार्य ( संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा) संपादन सहयोग - एक-एक क़तरा नई दिल्ली - मिथिला मिहिर दरभंगा विशेष - आकाशवाणी पटना और दरभंगा से लगातार प्रसारण - डीडी बिहार से प्रसारण - देशभर के मुशायरों में शिरकत और संचालन - भगवत गीता का उर्दू काव्यानुवाद - मैट्रिक से स्नातकोत्तर तक कविताएं बिहार बोर्ड और मिथिला यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम में शामिल -- कई शोधार्थियों द्वारा उनकी मैथिली कविताओं पर पीएचडी की उपाधि - उर्दू हिंदी और मैथिली की तमाम पत्र पत्रिकाओं में पांच हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित

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