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जमाने को कलंकित कर गया हूं/गज़ल/आचार्य फज़लुर रहमान हाशमी

जमाने को कलंकित कर गया हूं मिला भाई तो उससे डर गया हूं नहीं अनुभूति है जीवंत मेरी मुझे लगता है जैसे मर गया हूं कहीं कुछ बच गया तो थोड़ा अमृत यही तो ढूंढने सागर गया हूं बुलंदी की बहुत चाहत थी खुद को मगर पाताल के अंदर गया हूं रहा गंतव्य से रिश्ता […]

आदमी वो महान होता है/गज़ल/आचार्य फज़लुर रहमान हाशमी

अज़्म जिसका जवान होता है आदमी वो महान होता है काम से वंश की है प्रतिष्ठा कुछ नहीं खानदान होता है देश सेवा हरेक हालत में आदमी का ईमान होता है धर्म और जाति चिह्न है केवल आदमी सब समान होता है हाशमी ये नहीं फकत संसार दूसरा भी जहान होता है

किसी के हाथ में खंजर कहां है/गज़ल/आचार्य फज़लुर रहमान हाशमी

किसी के हाथ में खंजर कहां है ये धड़ तो देखता हूं सर कहां है सड़क पर लाश अनजानी पड़ी है यही सब पूछते हैं घर कहां है मनु थे आदमी इतिहास देखो बताओ डार्विन बंदर कहां है जिधर भी देखिए पशुता का मंजर हमारे शहर में अब नर कहां है जो विष अपने गले […]

आदमी क्या अगर गया पानी/गज़ल/आचार्य फज़लुर रहमान हाशमी

जब से सर से गुजर गया पानी अपनी आंखों का मर गया पानी घर डूबाकर हजार लाखों का ढूंढता हूं किधर गया पानी कितने दिन से जमीन प्यासी है कोई लंबा सफर गया पानी आ गई सामने वो जब मेरे बन पसीना उतर गया पानी देख कर लहलहाती फसलों को यह हकीकत है डर गया […]

कौन अब किसके काम आता है/गज़ल/आचार्य फज़लुर रहमान हाशमी

कौन अब किसके काम आता है सब तो अपने लिए ही दाता है हो भले राम और खुदा लेकिन नर स्वयं भाग्य का विधाता है उसको मैं भूल ही गया किंतु उसका एहसान याद आता है आज भी वो समझ के नाबालिग़ चांद पानी में ही दिखता है रिश्ता भाई का हम तो भूल गए […]

आदमी आज का बेचारा है/गज़ल/आचार्य फज़लुर रहमान हाशमी

अपना गम मुझको सबसे प्यारा है जिसने सौ बार मुझको मारा है जानवर भी रहा है चारा पर आदमी आज का बेचारा है उसका मुंह रह गया खुला का खुला उसने शायद मुझे पुकारा है उसमें हममें है फर्क बस इतना एक वादा है एक नारा है आज तुम चाहो जो करो लेकिन हाशमी कल […]

साथ मेरे ही उनको चलना है/गज़ल/आचार्य फज़लुर रहमान हाशमी

जिनको संसार में संभलना है साथ मेरे ही उनको चलना है वैसे सूरज को कौन रोकेगा जिसकी किस्मत में रोज ढलना है उसके किस्मत अजीब किस्मत है अपने साये से जिसको डरना है हमको मंजिल मिले,मिले ना मिले हुक्म बढ़ने का है तो बढ़ना है उन चिरागों की जिंदगी क्या है सोये लोगों के पास […]

भरा नाग से चंदन देख/गज़ल/आचार्य फज़लुर रहमान हाशमी

उम्र है उनकी पचपन देख लेकिन फिर भी बचपन देख मंदिर में पत्थर ही पत्थर चलचित्र में भगवन देख मेरा तो काला ही काला अपना उजला दामन देख विष का क्या प्रभाव हुआ है भरा नाग से चंदन देख घर लाया और जला दिया देख वैवाहिक बंधन देख आया है अब दौरे -एलेक्शन नेताओं का […]

उठना होगा चलना होगा/गज़ल/अविनाश भारती

उठना होगा चलना होगा, तो ही पूरा सपना होगा। दुश्मन तेरा तगड़ा रण में, खुद से, खुद ही लड़ना होगा। कुंदन जैसा बनना है तो, ताप अनल का सहना होगा। कहता है दस्तूर ग़ज़ल का सच को सच ही कहना होगा। मिट्टी, धूल, पसीना हरदम मेहनतकश का गहना होगा निष्ठुर है ‘अविनाश’ ज़माना हर दिन […]

घर में बना जो शेर है बाहर सियार है/गज़ल/अविनाश भारती

निर्दोष क़ैद में फँसा दोषी फ़रार है मुझको बता दे ऐ ख़ुदा कैसा दयार है अब दोस्ती के नाम का बदला रिवाज़ है ऊपर से प्यार दिख रहा मन में कटार है ज़ुल्म-ओ-सितम के दौर में सबको पता रहे घर में बना जो शेर है बाहर सियार है बेकार हो गया हूँ मैं कहते हैं […]

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