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Month: मार्च 2024

एक कड़वा सच ये भी/अनिरुद्ध पाण्डेय

धीरे – धीरे सब कुछ बदल रहा है, ये दुनियां एक नई रूप ले रही है और इस बदलती दौर में प्रेम ने तो अपना सहचर ही बदल लिया, अत्यंत सुंदर और अपने इस वशीकरण के रूप से आज की युवा पीढ़ी को आकर्षित कर रही है। कितने ही हास्यस्पद की बात है की इस […]

इतिहास की कल्पना/विष्णुकान्त उपाध्याय

इतिहास (पु०), इति+ह+ आस (अस् धातु लिट् लकार, अन्य पुं०), इतिहास (परंपरा से प्राप्त उपाख्यान समूह) धर्मार्थकाममोक्षाणामुपदेश समन्वितं पूर्ववतं कथायुक्त मितिहासं प्रचक्षते (वीरगाथा) * जैसे की महाभारत (ऐतिहासिक साक्ष्य परंपरा, जिसको. पौराणिक एवं प्रमाण मानते हैं। – लोगों में एक धारणा सी फैली हुई है। कि भारत वर्ष के साहित्य में ऐतिहासिक ग्रंथों का अस्तित्व […]

दोहा/डॉ. बिपिन पाण्डेय

लोभी ढोंगी लालची,झूठे चोर लबार। बन बैठे जनतंत्र के ,सारे पहरेदार।।1 सूरज कहता मैं हरूँ,धरती का अँधियार। मुझको नहीं पसंद है,जुगनू का किरदार।। 2 गाँवों में खंभे गड़े ,खिंचे हुए हैं तार। बिल आते बिजली नहीं,किससे करें गुहार।।3 चेहरे पर मासूमियत, दिल में है तूफ़ान। अपना हक़ है माँगता,हर मज़दूर किसान।।4 मिलती है सम्मान निधि,नहीं […]

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