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दोहे (माँ का राज़)/डॉ. बिपिन पाण्डेय

माँ की  वाणी में मिले, सद्ग्रंथों  का सार। उसकी ममता के बिना,जीवन है निस्सार।।1   माँ के हाथों से बनी, चीजों में हो स्वाद । सबको ऐसे तृप्ति दे, जैसे कथा प्रसाद ।।2 मात-पिता इस जगत में,ईश्वर  रूप समान। इनके शुभ आशीष में ,प्रभु का हो वरदान।।3 उतने भी सिक्के नहीं,देता कमा कुमार। माँ ने […]

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