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सफाईकर्मी गुलाबो/गोविन्द पाल

ट्रेक्टर ट्रॉली के पीछे पीछे
सीटी बजाती हुई आती थी गुलाबो
घर – घर से
बजबजाती हुई दुर्गन्ध युक्त
सड़ा हुआ कचरा ही नहीं
उठाती थी गुलाबो
बल्कि कई बिमारियों से
निजात दिलाती थी गुलाबो,
ड्राइवर की झिड़की के बावज़ूद
गेट पर कचरे की बाल्टी के इंतजार में
खड़ी रहती थी गुलाबो,
गंदी बस्ती में रहने वाली गुलाबो
अनपढ़ होने के बावजूद
सफाई का महत्व
अच्छी तरह से समझती थी,
शराबी पति के गुजर जाने के बाद
तीन बच्चों की माँ गुलाबो
दिन रात इस उम्मीद में
खटती रहती थी
कि उनके बच्चे भी एकदिन
पढ़-लिख कर
शुक्ला साहब जैसे अफसर बने
जो उनके ठेकेदार के भी बड़े साहब है,
कई दिन गुजर गये
विचलित हो उठा कवि हृदय
मन में प्रश्न जागा
आजकल सफाई कर्मियों के साथ क्यों नहीं दिखाई दे रही है गुलाबो?
क्या गुलाबो काम छोड़ दिया है?
क्या उसे काम से निकाल दिया है?
पूछने पर पता चला
गुलाबो किसी
अज्ञात बीमारी से ग्रसित होकर
सरकारी अस्पताल में दम तोड़ चुकी है

सफाई कर्मी गुलाबो चली गई
हमेशा के लिए चली गई!
बहुत दूर चली गई!
जहाँ से कोई लौटकर नहीं आता!
पर कई प्रश्न चिन्ह छोड़ गई गुलाबो
इस समाज के लिए
इस देश के लिए
और स्वच्छता पर
राजनीति करने वालों के लिए
साथ ही साथ
उन घरों के सदस्यों के लिए
जहाँ से गुलाबो कचरे के साथ साथ
बहुत सारी बिमारियों को ढोकर
उनसे दूर ले जाती थी।

लेखक

  • गोविंद पाल

    गोविंद पाल शिक्षा : स्नातक एवं शांति निकेतन विश्व भारती से डिप्लोमा इन रिसाइटेशन। एवं आई टी आई इलैक्ट्रिकल तकनीकी शिक्षा। लेखन : 1979 से जन्म तिथि :28 अक्तूबर 1963 पिता :स्व. नगेन्द्र नाथ पाल, माता:स्व. चिनू बाला पाल पत्नी:श्रीमति दीपा पाल पुत्र : सी ए - प्लावनजीत पाल पता :203 बी, न्यू रुआबांधा सेक्टर, पोः-भिलाई नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़) 490006 आकाश वाणी तथा दर्जनों टी वी चैनलों से बाल कविता, बाल नाटक एवं हास्य व्यंग्य व अन्य कविताओं का प्रसारण तीन अप्रैल से बारह अप्रैल 2018 तक बांग्लादेश की साहित्यिक यात्रा में बांग्लादेश के कई शहरों में बांग्लादेश के पार्लियामेंट में कविता पाठ एवं की पुरस्कार विजेता सम्मान प्राप्त। हाल ही में म. प्र. साहित्य अकादमी के सुप्रसिद्ध कवि, लेखक व समीक्षक एवं म. प्र. साहित्य अकादमी के संयोजक श्री घनश्याम मैथिल "अमृत" द्वारा लिखित समीक्षात्मक पुस्तक रचना के साथ साथ में हिंदुस्तान के सबसे उत्कृष्ट 28 पुस्तकों की समीक्षा में गोविंद पाल की काव्य संग्रह "बोनसाई" को भी शामिल किया गया है।

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