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जो हवाएँ मुझे बुलाती हैं/मनजीत शर्मा ‘मीरा’

जो हवाएँ मुझे बुलाती हैं

वो तेरा शहर छू के आती हैं

जब भी छूतीं बदन हैं फूलों का

तितलियाँ गीत गुनगुनाती हैं

चाँद की चाँदनी को मल-मल कर

मछलियाँ तन को चमचमाती हैं

आम पर बौर आ गया शायद

कोयलें कूह कूह गाती हैं

ख़ूब जम के बरसती हैं बूँदें

प्यास धरती की जब बुझाती हैं

पेड़ से जब गले मिलें बेलें

जम के बाँहों में कसमसाती हैं

जब भी गिरती हैं कोह से नदियाँ

मेरे तन-मन को थरथराती हैं

चल चलें हम उन्हीं पहाड़ों पर

सारी नदियाँ जहाँ नहाती हैं

लेखक

  • मनजीत शर्मा 'मीरा' (ग़ज़लकार, कहानीकार, कवयित्री) चंडीगढ़ से। पुरस्कार एवं उपलब्धियां: 1. हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष 2015 के लिए "श्रेष्ठ महिला रचनाकार" का पुरस्कार। 2. हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा कहानी-संग्रह "आत्महत्या के क्षणों में" को वर्ष 2013 का श्रेष्ठ कृति पुरस्कार । 3. हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा दो कहानियां "अस्तित्व" एवं "महात्मा गांधी मार्ग..." पुरस्कृत 4. प्रतिष्ठित पत्रिका "कथाबिंब" द्वारा आयोजित कमलेश्वर स्मृति कथा प्रतियोगिता 2009 में "श्रेष्ठ कहानी" का पुरस्कार । 5. मधुरिमा, (दैनिक भास्कर) द्वारा वर्ष 2010 में "सर्वश्रेष्ठ कहानी" का पुरस्कार। 6. परामनोवैज्ञानिक संस्थान, कुशीनगर द्वारा साहित्य लेखन के लिए वर्ष 2010 का "साहित्य भूषण पुरस्कार"। 7. देव भारती, भोपाल द्वारा वर्ष 2011 में कहानी संग्रह "अस्तित्व" को "देव भारती" पुरस्कार। 8. शिक्षा व धर्म संस्कृति द्वारा वर्ष 2011 में कहानी प्रतियोगिता में सांत्वना पुरस्कार। 9. अन्तर्राष्ट्रीय पराविद्या शोध संस्था, ठाणे, महाराष्ट्र द्वारा वर्ष 2011 में काव्य सृजन एवं समाज हितकारी कथा साहित्य हेतु "पद्माचार्य श्री" अलंकरण से सम्मानित।

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