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जीने को जीते/डॉ. वेद मित्र शुक्ल

मैंने पी तुमने भी पी, पर अलग-अलग क्या पीना होता,

जीने को जीते, पर अच्छा साथ-साथ जो जीना होता|

 दिख ही जाता प्यार दोस्त! हम कैसे भी बोलें-बतियायें,

सच में, यह जो प्यार हुआ ना! बिलकुल झीना-झीना होता|

 मौसम है कश्मीर का जो फिर ठंडक तो होगी ही थोड़ी,

पर, साथी का साथ रहा ज्यों तन-मन पर पश्मीना होता|

 कितना भी कुछ कर लो लेकिन आ ही जाती बेतरतीबी,

जान चुका हूँ, नहीं इश्क का कोई एक करीना होता|

 अपने रिश्तों के उघरे सीवन जो भी बेचैन करें जब,

प्यार-मुहब्बत के धागों से ही है उनको सीना होता|

लेखक

  • जन्म: 2 नवम्बर 1980 (बहराइच, उ.प्र.) माता-पिता: श्रीमती सुधा एवं श्री गुलाब चंद्र शुक्ल शिक्षा: एम.फिल., पीएच. डी. (जे.एन.यु., नई दिल्ली) डॉ. वेद मित्र शुक्ल दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफ़ेसर हैं| वर्ष 2008 से कॉलेज के अंग्रेजी विभाग से आप जुड़े हुए हैं| इससे पहले आप जे.एन.यु. के अंग्रेजी अध्ययन केन्द्र से अपना शोधकार्य भारतीय भाषा-दर्शन और तुलनात्मक अध्ययन के क्षेत्र में पूरा कर चुके हैं| हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में समान गति रखने वाले डॉ. वेद मित्र शुक्ल की पुस्तकें मुख्यतः कविता, आलोचना, बालसाहित्य, अनुवाद आदि पर हैं| इनमें कुछ महत्वपूर्ण किताबें इस प्रकार से हैं: वेद मित्र शुक्ल की बीस प्रतिनिधि ग़ज़लें 13 of 9 कविता-संग्रह - एक समंदर गहरा भीतर (सॉनेट संग्रह, 2021 में, उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान से श्री गोपालदास नीरज स्मृति सम्मान 2023 से सम्मानित ), जारी अपना सफ़र रहा (ग़ज़ल संग्रह, 2019 में हिंदी अकादमी, दिल्ली से सम्मानित); बाल कविता-संग्रह - जनजातीय गौरव (2022 में), कहावतों की कविताएं (2019 में) और बापू से सीखें (2018 में) विद्या भारती से प्रकाशित व सम्मानित ; आलोचना - मीनिंग इन भर्तृहरिज् वाक्यपदीय (अंग्रेजी में 2022 में); अनुवाद - लॉन्ग पोयम्स ऑफ़ नरेंद्र मोहन (अंग्रेजी में 2019 में); ए क्राय फॉर पीस (अंग्रेजी में 2015) संपादन - गाँव की आवाज़ (2022 में), सपनों भरे दिन (2020 में), रामदरश मिश्र की लम्बी कविताएँ (2019 में), दीनदयाल उपाध्याय: संपूर्ण वांग्मय (2016 हिंदी में सहसंपादन 15 खंडों में); कंप्लीट वर्क्स ऑफ दीनदयाल उपाध्याय (2019 अंग्रेजी में सहसंपादन 15 खंडों में), कुछ हिंदी व अंग्रेजी पत्र-पत्रिकाओं का भी संपादन और सहसंपादन| संगीत - वंशी एवं तबले में संगीत प्रभाकर| 2008 में दूरदर्शन पर और 2014 में यूनिवर्सिटी ऑफ मेसाचयूसेट्स में वंशीवादन| स्थानीय कार्यक्रमों में भी सांगीतिक प्रस्तुतियाँ| सम्मान - उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान से श्री गोपालदास नीरज स्मृति सम्मान, हिंदी अकादमी (दिल्ली) से युवा साहित्यकार पांडुलिपि प्रकाशन सम्मान, बालसाहित्य संस्थान अल्मोड़ा (उत्तराखंड) से बालप्रहरी बालसाहित्य सम्मान, विद्या भारती (कुरुक्षेत्र) और साथ ही, साहित्यिक संघ (वाराणसी) द्वारा आपको सम्मानित भी किया जा चुका है| फ़िजी देश में आयोजित 12 वें विश्व हिन्दी सम्मेलन में भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में प्रतिभाग| संप्रति: एसोसिएट प्रोफ़ेसर, अंग्रेजी विभाग, राजधानी कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय), राजा गार्डन, नई दिल्ली-110015

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