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हो ‘गणेश’ उत्तीर्ण/भाऊराव महंत

लम्बी-लम्बी सूंड तुम्हारी,
सूपे जैसे कान।
और सामने लेकर बैठे,
मोदक की दूकान।
मुँह में एक दाँत है केवल,
मटके जैसा पेट।
जिसमें भर सकते हैं हम तो,
लड्डू सौ-सौ प्लेट।
इतना भोग लगाने से भी,
होता नहीं अजीर्ण।
भोजन खूब पचाने में तुम,
हो ‘गणेश’ उत्तीर्ण।।

लेखक

  • भाऊराव महंत

    भाऊराव महंत ग्राम बटरमारा, पोस्ट खारा जिला बालाघाट, मध्यप्रदेश पिन - 481226 मो. 9407307482

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हो ‘गणेश’ उत्तीर्ण/भाऊराव महंत

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