हैं वीराने मेरे बाद
सब मैख़ाने मेरे बाद
मुझमें और ज़माने थे
देख ज़माने मेरे बाद
आये मुझको समझाने
कुछ फ़रज़ाने मेरे बाद
मुझको माप न पाएँगे
ये पैमाने मेरे बाद
तरसेंगे अब जीने को
दौर पुराने मेरे बाद
लेखक
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विज्ञान व्रत जन्म-तिथि : 17 अगस्त 1943 जन्म-स्थान : तेड़ा (मेरठ) उ प्र शिक्षा : M A ललित कला , B Ed , डिप्लोमा -- चित्रकला (राजस्थान) सम्प्रति : लेखन तथा चित्रकला प्रकाशित कृतियाँ : ग़ज़ल संग्रह : बाहर धूप खड़ी है , चुप की आवाज़ , जैसे कोई लौटेगा , तब तक हूँ , मैं जहाँ हूँ , शर्मिन्दा पैमाने थे , किसका चेहरा पहना है , भूल बैठा हूँ जिसे , मेरा चेहरा वापस दो , याद आना चाहता हूँ , लेकिन ग़ायब रौशनदान , मेरे वापस आने तक , रौशनी है आपसे और विज्ञान व्रत : चुने हुए शे'र दोहा संग्रह : खिड़की भर आकाश
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सब मैख़ाने मेरे बाद/विज्ञान व्रत
बहुत ही उम्दा… 👌👌👌