भ्रष्टाचार करने वाले सब नेता, बेशुमार सुविधा में हैं,
चोर-उचक्के, घोटालेबाज, सब के सब सुविधा में हैं,
जो झूठ बोले, चमचागिरी करें, वो भरपूर सुविधा में हैं,
जो मुँह पर सच्ची बात कहें, हर वो शख़्स दुविधा में है,
दावत जिसे खाने को मिले स्वादिष्ट, वो मेहमान सुविधा में हैं,
जिसके हों 10-12 साले-साली, वो जीजा दुविधा में हैं,
करोड़ों लेकर जो विदेश भागा, विजय माल्या सुविधा में है,
जिन-जिन बैंकों ने कर्जा दिया था, वो सारे बैंक दुविधा में हैं,
अजन्मा और मृतक दोनों ही, अपने अनुसार सुविधा में हैं,
बाक़ी जितने भी हैं जीवित प्राणी, सब के सब दुविधा में हैं,
शादी में हुकुम चलाते मौसा-फूफ़ा, ख़ूब सुविधा में हैं,
शादी वाले घर के सब लोग, इनके कारण दुविधा में हैं,
मक्कारी करते कामचोर हैं,जितने भी, सब सुविधा में हैं,
ईमानदार और मेहनती बंदे, आज कितनी दुविधा में हैं,
हम तो कविता लिख दिये “देव”, अब हम तो सुविधा में हैं,
बाक़ी हैं उपस्थित जितने भी पाठक, कविता पढ़कर दुविधा में हैं,