प्रेम-खंड-11 पद्मावत/जायसी
सुनतहि राजा गा मुरझाई । जानौं लहरि सुरुज कै आई ॥ प्रेम-घाव-दुख जान न कोई । जेहि लागै जानै पै सोई ॥ परा सो पेम-समुद्र अपारा । लहरहिं लहर होइ बिसँभारा ॥ बिरह-भौंर होइ भाँवरि देई । खिनखिन जीउ हिलोरा लेई ॥ खिनहिं उसास बूड़ि जिउ जाई । खिनहिं उठै निसरै बोराई ॥ खिनहिं पीत, […]