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प्रेम-खंड-11 पद्मावत/जायसी

सुनतहि राजा गा मुरझाई । जानौं लहरि सुरुज कै आई ॥ प्रेम-घाव-दुख जान न कोई । जेहि लागै जानै पै सोई ॥ परा सो पेम-समुद्र अपारा । लहरहिं लहर होइ बिसँभारा ॥ बिरह-भौंर होइ भाँवरि देई । खिनखिन जीउ हिलोरा लेई ॥ खिनहिं उसास बूड़ि जिउ जाई । खिनहिं उठै निसरै बोराई ॥ खिनहिं पीत, […]

जोगी-खंड-12 पद्मावत/जायसी

तजा राज, राजा भा जोगी । औ किंगरी कर गहेउ बियोगी ॥ तन बिसँभर मन बाउर लटा । अरुझा पेम, परी सिर जटा ॥ चंद्र-बदन औ चंदन-देहा । भसम चढ़ाइ कीन्ह तन खेहा ॥ मेखल, सिंघी, चक्र धँधारी । जोगबाट, रुदराछ, अधारी ॥ कंथा पहिरि दंड कर गहा । सिद्ध होइ कहँ गोरख कहा ॥ […]

राजा-गजपति-संवाद-खंड-13 पद्मावत/जायसी

मासेक लाग चलत तेहि बाटा । उतरे जाइ समुद के घाटा ॥ रतनसेन भा जोगी-जती । सुनि भेंटै आवा गजपती ॥ जोगी आपु, कटक सब चेला । कौन दीप कहँ चाहहिं खेला ॥ ” आए भलेहि, मया अब कीजै । पहनाई कहँ आयसु दीजै” “सुनहु गजपती उतर हमारा । हम्ह तुम्ह एकै, भाव निरारा ॥ […]

बोहित-खंड-14 पद्मावत/जायसी

सो न डोल देखा गजपती । राजा सत्त दत्त दुहुँ सती ॥ अपनेहि काया, आपनेहि कंथा । जीउ दीन्ह अगुमन तेहि पंथा ॥ निहचै चला भरम जिउ खोई । साहस जहाँ सिद्धि तहँ होई ॥ निहचै चला छाँड़ि कै राजू । बोहित दीन्ह, दीन्ह सब साजू ॥ चढ़ा बेगि, तब बोहित पेले । धनि सो […]

सात समुद्र-खंड-15 पद्मावत/जायसी

सायर तरे हिये सत पूरा । जौ जिउ सत, कायर पुनि सूरा ॥ तेइ सत बिहित कुरी चलाए । तेइ सत पवन पंख जनु लाए ॥ सत साथी, सत कर संसारू । सत्त खेइ लेइ लावै पारू ॥ सत्त ताक सब आगू पाछू । जहँ तहँ मगर मच्छ औ काछू ॥ उठै लहरि जनु ठाढ़ […]

 सिंहलद्वीप-खंड-16 पद्मावत/जायसी

पूछा राजै कहु गुरु सूआ । न जनौं आजु कहाँ दहुँ ऊआ ॥ पौन बास सीतल लेइ आवा । कया दहत चंदनु जनु लावा ॥ कबहुँ न एस जुड़ान सरीरू । परा अगिनि महँ मलय-समीरू ॥ निकसत आव किरिन-रविरेखा । तिमिर गए निरमल जग देखा ॥ उठै मेघ अस जानहुँ आगे । चमकै बीजु गगन […]

मंडपगमन-खंड-17 पद्मावत/जायसी

राजा बाउर बिरह-बियोगी । चेला सहस तीस सँग जोगी पदमावति के दरसन-आसा । दंडवत कीन्ह मँडप चहुँ पासा ॥ पुरुब बार कै सिर नावा । नावत सीस देव पहँ आवा ॥ नमो नमो नारायन देवा । का मैं जोग, करौं तोरि सेवा ॥ तूँ दयाल सब के उपराहीं । सेवा केरि आस तोहि नाहीं ॥ […]

पदमावती-वियोग-खंड-18 पद्मावत/जायसी

पदमावती-वियोग-खंड पदमावति तेहि जोग सँजोगा । परी पेम-बसे बियोगा ॥ नींद न परै रैनि जौं आबा । सेज केंवाच जानु कोइ लावा ॥ दहै चंद औ चंदन चीरू दगध करै तन बिरह गँभीरू ॥ कलप समान रेनि तेहि बाढ़ी । तिलतिल भर जुग जुग जिमि गाढ़ी ॥ गहै बीन मकु रैनि बिहाई । ससि-बाहन तहँ […]

पदमावती-सुआ-भेंट-खंड-19 पद्मावत/जायसी

तेहि बियोग हीरामन आवा । पदमावति जानहुँ जिउ पावा ॥ कंठ लाइ सूआ सौं रोई । अधिक मोह जौं मिलै बिछोई आगि उठे दुख हिये गँभीरू । नैनहिं आइ चुवा होइ नीरू ॥ रही रोइ जब पदमिनि रानी । हँसि पूछहिं सब सखी सयानी ॥ मिले रहस भा चाहिय दूना । कित रोइय जौं मिलै […]

बसंत-खंड-20 पद्मावत/जायसी

दैऊ देउ कै सो ऋतु गँवाई । सिरी-पंचमी पहुँची आई ॥ भएउ हुलास नवल ऋतु माहाँ । खिन न सोहाइ धूप औ छाहाँ ॥ पदमावति सब सखी हँकारी । जावत सिंघलदीप कै बारी ॥ आजु बसंत नवल ऋतुराजा । पंचमि होइ, जगत सब साजा ॥ नवल सिंगार बनस्पति कीन्हा । सीस परासहि सेंदुर दीन्हा ॥ […]

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