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कच्चे फलों से छीन ली जीने कीआरज़ू/बृंदावन राय सरल 

दिल अपना आबशार किसी ने नहीं किया
सूखी नदी से प्यार किसी ने नहीं किया
ज़रदारियों मेंदब गये सच्चे रिवाजोरस्म,
ये बोझ दरकिनार किसी ने नहीं किया
कच्चे फलों से छीन ली जीने कीआरज़ू,
मौसम का इंतज़ार किसी ने नहीं किया
दौलत के रेग़ज़ार मेंभटके तमाम लोग,
किरदार आबदार किसी ने नहीं किया
इस दौरे नौ मेंझूठ को सब  अज़्मतें मिली,
सच्चाईयोंसे प्यार किसी ने नहीं किया
इक मेरी रूह मेरे मुक़ाबिल है बस सरल,
मुझको ज़लीलोख़्वार किसी ने नहीं किया

लेखक

  • बृंदावन राय सरल माता- स्व. श्रीमती फूलबाई राय पिता- स्व. बालचन्द राय जन्मतिथि- 03 जून 1951 जन्म स्थान- खुरई, सागर (मध्य प्रदेश) शिक्षा- साहित्य रत्न, आयुर्वेद रत्न, सिविल इंजीनियर । भाषा - हिंदी, बुंदेली, उर्दू । प्रकाशन- हिंदी व बुंदेली भाषा में 14 किताबें प्रकाशित । साझा संकलन- लगभग 225 संकलनों में रचनाएं सम्मलित के अलावा देश-विदेश की तमाम पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का अनवरत प्रकाशन ।

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