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नभ पर फूल सितारे अब खिलते नहीं मियां/दिलजीत सिंह रील

नभ पर फूल सितारे अब खिलते नहीं मियां । क्यों रंग बहारों के भी घुलते। नहीं मियां ।। गन्नों। से। भी। मीठे। रिश्तों में गांठ पड़ी । गांठ। गांठ। में। खोजा वो मिलते नहीं मियां।। पोशाकें सिलते हैं। जो दर्जी। कुदरत। की । क्यों इंसां की। पोशाकें। सिलते। नहीं मियां ।। इश्क का समन्दर है […]

कुछ ऐसे हालात करें/दिलजीत सिंह रील

कुछ ऐसे हालात करें । दिल से दिल की बात करें।। महकी महकी जुल्फों में । रंग रंगीली रात। करें ।। अनहोनी तो होनी है । कुछ मीठे आघात करें।। सुर्ख दहकते अधरों पर । चुंबन की बरसात करें।। जगती के हर लम्हे को । खुशियों की बारात करें।। आने वाले लम्हों को। बचपन के […]

दर्द बिछाया ग़म को ओढ़ा भूख रखी सिरहाने/दिलजीत सिंह रील

दर्द बिछाया ग़म को ओढ़ा भूख रखी सिरहाने । खुशहाली के सपने देखें हम भी क्या दीवाने ।। हम गरीबों की अब इज्जत कहां रही इस दुनियां में। हमको सभी बराबर लगते मंदिर हों या थाने।। वही अकेला नहीं है मुजरिम दुनियां की भीड़ में । हर शख्स यहां पर मुजरिम है जाने या अनजाने […]

दिल में इक शहर बसाया है आपकी खातिर/दिलजीत सिंह रील

दिल में इक शहर बसाया है आपकी खातिर । उसमें फिर प्यार जगाया है आपकी खातिर।। इस झिलमिलाती चांदनी मे डूब कर कोई । आपके नूर से नहाया है आपकी खातिर।। मेरा दीन मेरा ईमान मेरा इश्क है । दिलो जां सबकुछ लुटाया है आपकी खातिर।। फिर मिलेंगे आपने कहा थाजिस जगह वहीं। ये सिर […]

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