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दी है गम ने धमकी तब से ही/दिलजीत सिंह रील

बहते पानी पर नाम लिखा है । यह जीवन का अंजाम लिखा है ।। बलि कितने ही तारे चढ़ जाते । सुबहो को मैंने शाम लिखा है ।। तख्ती पर हमने ही कर्मों के । दण्डों का वाजिब काम लिखा है।। दी है गम ने धमकी तब से ही । है दर्दों से आराम लिखा […]

तट पर मोती मिल जायें/दिलजीत सिंह रील

जिसका जीना मरना क्या । उसकी बातें करना क्या।। मान नहीं सम्मान नहीं । पांव वहां पर धरना क्या ।। यदि दर्पण देख सका ना। सजना और संवरना क्या।। तट पर मोती मिल जायें । सागर बीच उतरना क्या।। जग में जय जय कार हुई । ताप किसी का हरना क्या।। कर्मों का फल मिलता […]

जब से यारों की मंदी है/दिलजीत सिंह रील

जब से यारों की मंदी है । शुक्र-गुजारों की मंदी है।। टूट रहे रिश्तों के बन्धन । सद् व्यवहारों की मंदी है।। लाठी ही एक सहारा है । बरखुरदारों की मंदी है।। सूरज -सूरज गृहण लगा है नव-उजियारों की मंदी है।। साकार करें जो सपनों को। उन अय्यारों की मंदी है।। सड़कें नाप रहे व्यापारी […]

तुम क्या जानों भूख उदर की/दिलजीत सिंह रील

समझ खिलौना बेच दिया है । सपन सलौना बेच दिया है ।। कुछ ने तो अपना ऊंचापन । बन कर बौना बेच दिया है।। तुम क्या जानों भूख उदर की। सुमन बिछौना बेच दिया है।। अब पंगत क्या बिठलायेगा। पत्तल दौना बेच दिया है।। गम की मारी रुदाली ने। रोना धोना बेच दिया है‌‌।। आज़ादी […]

कदम कदम पर धोखा/दिलजीत सिंह रील

गुप-चुप रोएं कब तक । पलक निचोएं कब तक।। आंसूं-आंसूं लिख कर । कलम भिगोएं कब तक।। गहरे दाग लगे हैं । दामन धोएं कब तक।। कदम कदम पर धोखा। निष्ठा बोएं कब तक ।। नफरत की आंधी‌ में। प्रेम बिलोएं कब तक।। हम-आप सियासत की। बदबू ढोएं कब तक।। वीर-बहादुर सैनिक । रण में […]

जब सपने गीले होते हैं/दिलजीत सिंह रील

दुखदर्द कटीले होते हैं। ये बहुत हठीले होते हैं।। इनसे बचना मुश्किल इनके। खूंखार कबीले होते हैं।। पलकों में ही घुट जाते हैं‌। जब सपने गीले होते हैं।। पैनेपन से कलम अंजी हो। तब व्यंग्य चुटीले होते हैं।। सांपों से तो बच जाओगे । आदम जहरीले होते है़।। उसके अधरों से जो झरते। संवाद नशीले […]

अब सारी दुनियां दुहराती है/दिलजीत सिंह रील

तू जाने तेरे दिल की बातें। या दिल जाने कातिल की बातें।। अब सारी दुनियां दुहराती है। तेरी मेरी महफिल की बातें।। बस बातें ही बातें हैं उसकी। जो कहता है कामिल की बातें।। अब धारा से ही बातें होंगीं । फिर क्या करना साहिल की बातें।। जब धर्म कर्म है चलते रहना । हास्यापद […]

शब्द अधर तक आए/दिलजीत सिंह रील

पलकों में बन्द हुए । आंसूं मकरन्द हुए ।। अलकावलि लहराई। दुख-घन आनन्द हुए।। बन्धन में रहकर भी। आप हम स्वछन्द हुए।। शब्द अधर तक आए। गीतों के छन्द हुए।। शिव कुटिया तक पहुंचे। वो परमानन्द हुए।। छोड़ेंगे बांह नहीं। मन बाजू-बन्द हुए।। संगीत सुधा बरसी। सुर ताल समुन्द हुए।। आंखों की पलकों पर। सपने […]

मौसम मन को भाया प्यारे/दिलजीत सिंह रील

मौसम मन को भाया प्यारे । लौट जमाना आया प्यारे।। कुत्ता गिरगिट मगरमच्छ का। क्या क्या रंग दिखाया प्यारे।। गा गा कर लोरी जनता को। गहरी नींद सुलाया प्यारे ।। देश भक्ति के दांत दिखा कर। देश दबा कर खाया प्यारे।। हम सारे देश विदेशों में। घूमें और घुमाया प्यारे।। हम रावण हैं दिल से […]

किंगकांग हो तुम गामा हो/दिलजीत सिंह रील

किंगकांग हो तुम गामा हो । आदमी नहीं पैजामा हो।। बच्चे भूखे रोटी दो ना । तुम कैसे चंदा मामा हो।। कोई कृष्ण नहीं कलयुग में । तुम भी तो कहां सुदामा हो।। अब छोड़ो भी आवारा पन । तुम भटके अश्वत्थामा हो ।। हम धन्य हुए हैं कलयुग में । तुम कितने अच्छे मामा […]

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