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शब्द अधर तक आए/दिलजीत सिंह रील

पलकों में बन्द हुए ।
आंसूं मकरन्द हुए ।।

अलकावलि लहराई।
दुख-घन आनन्द हुए।।

बन्धन में रहकर भी।
आप हम स्वछन्द हुए।।

शब्द अधर तक आए।
गीतों के छन्द हुए।।

शिव कुटिया तक पहुंचे।
वो परमानन्द हुए।।

छोड़ेंगे बांह नहीं।
मन बाजू-बन्द हुए।।

संगीत सुधा बरसी।
सुर ताल समुन्द हुए।।

आंखों की पलकों पर।
सपने पाबन्द हुए।।

दिलजीत सिंह रील

लेखक

शब्द अधर तक आए/दिलजीत सिंह रील

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