वो आने का वादा कर के ना आई तमाम रात ।
हर आहट पे दर पे आंखें बिछाई तमाम रात।।
ये आसमां के चांद तारे हैं साथ मेरे फिर भी ।
कटती नहीं है काटे ये तन्हाई तमाम रात ।।
कुछ लोगों ने अब तो उस में स्टीमर चला दिए हैं।
जो रो रो के उसने गंगा बहाई तमाम रात ।।
आतिशे इश्क में यारो वो जला किये थे जैसे ।
सुलगा किये हों बिस्तर और रजाई तमाम रात।।
ऐन मौके पे गर्ल फ्रेंडें उसे ठेंगा दिखा गईं ।
चौपाटी पे चाट यूं ही चटाई तमाम रात।।
दो बच्चौं के बाद राखी बीवी ने बांध दी है ।
मियां रोते हैं देख अपनी कलाई तमाम रात।।
अल्ला हाफ़िज़ कि अब चले हम करकेमुराद पूरी।
तेरी हुस्नो शबाबे महफ़िल जमाई तमाम रात ।।
दिलजीत सिंह रील
वो आने का वादा कर के ना आई तमाम रात/दिलजीत सिंह रील