हम किसी को जिता के बदनाम हो गये ।
वो जीते क्या चुनाव गुम नाम हो गये।।
हम तमाशा दूर से ही देखते रहे ।
वो गुलों को चुरा के गुलफाम हो गये।।
सड़कों पर अपनी उनसे नज़र क्या मिली।
दिलों के धड़कते वाहन जाम हो गये।।
करों को चुकाने यार नंगे हो गये।
दो ही थे लंगोटा नीलाम हो गये।।
झप्पर था बचा बाढ़ में अभी बह गया ।
बर्बादी के पूरे इंतजाम हो गये।।
हम जीते फिर हारे हर बार की तरह।
क्यों हौसले हमारे नाकाम हो गये।।
गज़ल के इशारे से उनमान पढ़ लिया।
आंखों से ही आंख के सलाम हो गये।।
दुश्मनों की बाधा कोई टिक ना सकी।
राम राम करके सारे काम हो गये।।
दिलजीत सिंह रील
करों को चुकाने यार नंगे हो गये/दिलजीत सिंह रील