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अब सारी दुनियां दुहराती है/दिलजीत सिंह रील

तू जाने तेरे दिल की बातें।
या दिल जाने कातिल की बातें।।

अब सारी दुनियां दुहराती है।
तेरी मेरी महफिल की बातें।।

बस बातें ही बातें हैं उसकी।
जो कहता है कामिल की बातें।।

अब धारा से ही बातें होंगीं ।
फिर क्या करना साहिल की बातें।।

जब धर्म कर्म है चलते रहना ।
हास्यापद है मंजिल की बातें।।

ज़ज्बात शहादत के अगर नहीं।
बेमानी हैं बिस्मिल की बातें ।।

है झूठी सच्ची एक कहानी।
नाज़िल होती कविता की बातें।।

दिलजीत सिंह रील

लेखक

अब सारी दुनियां दुहराती है/दिलजीत सिंह रील

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