जनता की आवाज ही, लोकतंत्र का मूल।
इसे दबाना रौंदना, सरकारों की भूल।।-1
किसने रोका है तुम्हें, करते रहो प्रयास।
जिसने किया प्रयास वे, रचते हैं इतिहास।।-2
जब तक तन में सांस है, जीवन है श्रीमान।
श्वास गई तो देह को, केवल माटी जान।।-3
जीवनभर करता रहा, एक तीन का पाँच।
जो बोया सो काट ले,अटल सत्य तू जाँच।।-4
चेहरे पर चेहरे लगा, घूम रहा इंसान।
बहुत कठिन अब हो गई, मानव की पहचान।।-5
राघव की धरती यही, दिया कृष्ण ने ज्ञान।
जन्मे थे प्रह्लाद भी, भारत देश महान।।-6
विकसित भारतवर्ष की, मूरत हैं मजदूर।
मजदूरी मिलती रहे, कभी न हों मजबूर।।-7
राजनीति में नीति का, कभी न कोई काम।
क्या करना इस नीति का, जो इतनी बदनाम।।-8
भाव खूबसूरत जगें, सुन्दर अगर विचार।
दूषित मन में जागते, कुंठा और विकार।।-9
मुँह की “शोभा” बोल हैं, हाथों की है दान।
कानों की शोभा श्रवण, और मनुज की ज्ञान।।-10
विकसित भारत के लिये, देता अपनी जान।
सरहद पर सैनिक खड़ा, खेतों बीच किसान।।-11
क्या बाली क्या पूतना, क्या रावण की बात।
दर्प किया जिसने यहाँ, मिली उसी को मात।।-12
सुरेशचन्द्र जोशी