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टीवी  ही  माता-पिता/दिनेश रस्तोगी

टीवी  ही  माता-पिता, मोबाइल  गुरु  ज्ञान ।

नए कपोतों  को मिली,भटकन भरी उड़ान ॥-1

निष्ठाएँ  गिरवीं  हुईं,   कुंठित  है  विश्वास ।

प्रतिभा को करना पड़ा,आजीवन उपवास ॥-2

शोर,धुआँ,उलझन,घुटन, भीड़,जाम, हड़ताल ।

महानगर  ढोते  रहे ,    हम  यूँ  सालों  साल ॥-3

सजल नयन को देखकर,बोला खारा सिंधु ।

मुझसे अधिक विराट हैं, तेरे  ये  जलविंदु ॥-4

टेसू  टेसू  होंठ  हैं, सेमल  सेमल  गाल ।

नटवर नागर मन हुआ, राधा हुई निहाल॥-5

देख शहर की शाम का,कौतुक अंधाधुंध ।

गांवों  की  मुंडेर  पर, जा  बैठी  है  धुंध ॥-6

सूरज  जकड़ा शीत में, लज्जा  वाला रूप ।

जाड़ों में मलमल लगे, सुबह सुबह की धूप॥-7

धुआँ उगलते मुख सभी, समझ गए हैं चाल ।

कुहरे  के  प्रस्ताव  पर, सूरज  की  हड़ताल ॥-8

दिन बबूल के शूल से,नागफनी हर रात ।

आख़िर क्यों पैदा किए तुमने ये हालात ॥-9

दर्पण  सुविधा का पकड़, देखें निज तस्वीर ।

वे  क्या  बाँचेंगे  भला, जनता  की  तक़दीर ॥-10

कुहरे के इस पार हम, सूरज  है  उस  पार ।

पर गुपचुप चलता रहा, किरणों का व्यापार ॥-11

ब्रह्मचर्य के नियम के, जड़ें जहाँ थे फ़्रेम ।

वहीं चिरौटे कर रहे,  काम कला से प्रेम ॥-12

दिनेश रस्तोगी

लेखक

  • दिनेश रस्तोगी पिता का नाम:- स्व0 हरिनारायण जन्म तिथि:- 01/08/1946 जन्म स्थान:- शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश शिक्षा:- एम एस सी (प्राणी विज्ञान) वर्तमान पता:- निधि निलयम 8-बी अभिरुप साउथ सिटी, शाहजहांपुर 242001 सम्प्रति:- अवकाश प्राप्त प्राचार्य लेखन विधाएं:- हास्य काव्य की प्रत्येक विधा में लेखन,बाल कविताएं,लघु कथाएं,रेखांकन,चित्रांकन आदि

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