करो न जीवन में कभी, ऐसा खोटा काम।
जिसके पश्चाताप में, बीते उम्र तमाम।।-1
कल क्या होगा भूल जा , मत कर कल को याद।
अच्छा हो यदि आज से, कर ले तू संवाद ।।-2
करते जो माँ-बाप की, सेवा भली प्रकार ।
खुल जाते उनके लिए, स्वत: स्वर्ग के द्वार।।-3
उगता सूरज भोर का, देता है संदेश।
हुआ एक दिन और गत, था जीवन जो शेष।।-4
कुछ कहते , कुछ सोचते, करते हैं कुछ और।
ऐसों का ही चल रहा, वर्तमान में दौर।।-5
आ जाता है एक दिन, इस जीवन का अंत ।
तृष्णा कम होती नहीं, पर जीवन पर्यंत ।।-6
सुख भोगें गुणहीन नर, दुख भोगें गुणवान ।
कीर पींजरे में रहे, कागा भरे उड़ान।।-7
एक ओर सद्ग्रंथ हो, एक ओर हों रत्न ।
रत्न त्याग सद्ग्रंथ की, करो प्राप्ति का यत्न ।।-8
सदा न सरसों फूलती, सदा न उगती धान।
सदा नहीं यौवन रहा, सदा न रहे गुमान।।-9
कोयल मगन बसंत में, वर्षा ऋतु में मोर।
काग कनागत में मगन, रात अंधेरी चोर।।-10
पत्ता टूटा शाख से, हवा ले गई दूर ।
कभी न होगी भेंट अब, नियति बड़ी है क्रूर।।-11
बने न मानव देवता, बने न दानव जात।
मानव मानव ही रहे, यही बड़ी है बात।।-12
डॉ. शंकर शरण लाल बत्ता