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इक मुसीबत हो गये/कामना मिश्रा

हो गये बच्चे बड़े जब,घर से रुख़्सत हो गये यादों के लम्हे सभी अनमोल दौलत हो गये उड़ गए पंछी से लम्हे,साथ जो मिलकर जिए आज बच्चों के बिना निस-दिन कयामत हो गये घर है सूना, शोर कोई भी तो अब होता नहीं वालिदा-वालिद भी तन्हाई से निस्बत हो गये माँ की मीठी डाँट थी […]

तस्करी-धंधे की देखो हर तरफ़ भरमार है/कामना मिश्रा

धूर्त -झूठों का ही अक्सर होता बेड़ा पार है और सबका तो यहाँ बस होता बँटाधार है छल-कपट की जीत होती है सदा,निस-दिन यहाँ सच छुपा कर मुँह को रोता ही रहा हर बार है  आग लग जाए अभी अन्याय में,हे राम जी कलयुगी पापी-प्रणाली को तो बस धिक्कार है सर उठा कर, शान से […]

काबू में नहीं आपके ये जज़्बात तो/कामना मिश्रा

जो न दे साथ कभी उन से न हो बात तो क्या और बदले न कभी आप के हालात तो क्या देखता सब है यहाँ रब,जो हमारा है पिता हो रहा रोज़ ही है आप पॅ आघात तो क्या अब धरो आप भी धीरज तो ज़रा-सा मन में आज काबू में नहीं आपके ये जज़्बात […]

चले तो जाते हैं कुछ लोग छोड़ कर घर को/कामना मिश्रा

ख़ुशी से ज़िन्दगी होगी बसर कभी न कभी ये दिल चुनेगा,सही,हमसफ़र, कभी न कभी बिछड़ गया है परिंदा जो, नीड़ से अपने मिलेगा उसको भी अपना शजर,कभी न कभी चले तो जाते हैं कुछ लोग छोड़ कर घर को तकेगा उनकी बहुत राह,घर,कभी न कभी बिछड़ के अपने ही घर से,है कौन ख़ुश,ये कहो कि […]

ताबीर मिल गई/कामना मिश्रा

इक दिन मुझे भी प्यार की तहरीर मिल गई ऐसा लगा कि खुशियों की जागीर मिल गई जीती हूँ मस्त हाल में खुशहाल हो के मैं सारे हसीन ख़ाबों की ताबीर मिल गई लिखती हूँ अपने मन की ही बेफ़िक्र हो के मैं जैसे क़लम नहीं कोई शमशीर मिल गई होता है ज़िक्र आपका जब […]

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