इक मुसीबत हो गये/कामना मिश्रा
हो गये बच्चे बड़े जब,घर से रुख़्सत हो गये यादों के लम्हे सभी अनमोल दौलत हो गये उड़ गए पंछी से लम्हे,साथ जो मिलकर जिए आज बच्चों के बिना निस-दिन कयामत हो गये घर है सूना, शोर कोई भी तो अब होता नहीं वालिदा-वालिद भी तन्हाई से निस्बत हो गये माँ की मीठी डाँट थी […]