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देवादिदेव महादेव/नंदिनी चौहान

शिव जो कालों के काल हैं वो महाकाल हैं
त्रिनेत्रधारी शम्भू गले में जिनके व्याल हैं।।
जटाओ में गंगा है जिनके चंद्र सोहे भाल है
देह रमाते भस्म हैं,पहने बाघ की खाल है।।
ओमकार कृपानिधि कैलाश के वासी हैं
भक्तों के रक्षक शिव अमर अविनाशी हैं।।
नंदी की सवारी है संग में गौरा प्यारी हैं
निर्विकार महेश शम्भू शूल पाणि धारी हैं।।
सोमनाथ ओमाकार वो भोले भण्डारी हैं
वो भोलेनाथ नागेश्वर वो महाकालेश्वर हैं
वो प्रजापति भूतपति भोले शिवशंकर हैं।।
दुखों को हरने वाले शम्भू सुखकर्ता हैं
शाश्वत अकाल हैं शिव ही प्रलयकर्ता हैं।।
जटाधारी पशुपतिनाथ वो ही योगिश्वर हैं
शिव सत्य हैं सुन्दर हैं शशांक दानिश्वर हैं।।
वो अमरनाथ विश्वनाथ रूद्र डमरू वाले हैं
नीलकंठ सोमनाथ महादेव निराले हैं।।
आदि अनंत शिव उनकी महिमा अपार है
इस भव के स्वामी सबका करते उद्धार हैं ।।

नंदिनी चौहान

लेखक

देवादिदेव महादेव/नंदिनी चौहान

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