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गज़ल/ आइने बदले हैं/लूट मार में/संदीप सृजन

वक़्त के साथ में कायदे बदले हैं। आदमी देख कर आइने बदले हैं।। हर्फ़ वो ही रहे गीत औ’ गाली के। बात कहने के बस मायने बदले हैं।। ज़िदगी जोड़ बाकी में ही रह गयी। इसलिए रिश्तों के फ़ासलें बदलेे हैं।। जानु,बेबी,हनी वाले इस दौर में। प्रेम के नाम औ’ चोचले बदले हैं।। लोकशाही ने […]