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मेरी ख़्वाहिश उसका विकास/डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’

मैं दुआ करता हूँ
बढ़ चढ़कर श्रम करता हूँ
करता हूँ गुलामी या चापलूसी भी
उसके उत्थान के लिये
जो पहले से ही मुझसे बहुत ऊपर है
इसलिये कि
वो और ऊपर उठे……
आसमान की ऊँचाइयों तक…
कह सकूँ मैं गर्व से
कि सुनो! सुनो!! सुनो!!!
….उसको मै जानता हूँ
जिसको जानने में दुनिया लगी है l

पर हर बार
उसके हर कदम के साथ
मैं बौना होता जाता हूँ
नीचे गिरता जाता हूँ
गिरता ही गिरता जाता हूँ
क्योंकि
उसके विकास की हर राह
गुजरती है मेरी नींव से
हिल जाता है मेरा वजूद
बिखर जाती है मेरी दुनिया
उसकी बिल्डिंगों के सुन्दरीकरण हेतु
हर बार टूटता है मेरा झोपड़ा
साथ ही टूटता हूँ मैं l

फिर भी कुचले वजूद
रोक नहीं पाते होठों पर आई मुस्कान को
दिल के सुकून को
अपनेपन के मायाजाल को
एक बार फिर से
मेरी ख़्वाहिश पूरी हुई है
मेरे ही किसी अपने के
साम्राज्य का विस्तार हो रहा है
……और मेरी भी भूमिका है उसमें
मैं एक बार फिर उजड़ा हूँ
उसके विकास में l

डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’

लेखक

  • डॉ. अवधेश कुमार अवध

    डॉ. अवधेश कुमार अवध पेशा- अभियान्त्रिकी (मेघालय में) शिक्षा- स्नातकोत्तर, स्नातक शिक्षा प्रशिक्षण, डिप्लोमा, प्रमाण पत्र कोर्स प्रसारण- दूरदर्शन एवं आकाशवाणी से मॉरीशस आकाशवाणी से कविता प्रसारण लेखन/सृजन/प्रकाशन- काव्य एवं गद्य की प्रचलित विधाओं में देश और विदेश में हजारों रचनाएँ प्रकाशित संपादन - इनसे हैं हम, कुंज निनाद, साहित्य धरोहर सहित कई पुस्तकें एवं पत्रिकाएँ

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