फिर वही किस्सा सुनाना चाहता हूँ/सुरजीत मान जलईया सिंह
फिर वही किस्सा सुनाना चाहता हूँ फिर वही किस्सा सुनाना चाहता हूँ माँ तुझे मैं गुन-गुनाना चाहता हूँ कल सिरहाने जो तुम्हारा हाथ था उसको फिर तकिया बनाना चाहता हूँ फिर उठा ले गोद में अपनी मुझे दुनियां – दारी भूल जाना चाहता हूँ इस शहर ने छीन ली बरकत मेरी मैं सभी को ये […]