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फिर वही किस्सा सुनाना चाहता हूँ/सुरजीत मान जलईया सिंह

फिर वही किस्सा सुनाना चाहता हूँ फिर वही किस्सा सुनाना चाहता हूँ माँ तुझे मैं गुन-गुनाना चाहता हूँ कल सिरहाने जो तुम्हारा हाथ था उसको फिर तकिया बनाना चाहता हूँ फिर उठा ले गोद में अपनी मुझे दुनियां – दारी भूल जाना चाहता हूँ इस शहर ने छीन ली बरकत मेरी मैं सभी को ये […]

थोड़ा सा रो लेती हूँ/छाया त्रिपाठी ओझा

थोड़ा सा रो लेती हूँ अन्तर्मन में सुस्मृतियों के बीज रोज बो लेती हूँ। याद तुम्हारी आती है तो थोड़ा सा रो लेती हूँ। प्रश्न कई जब उठकर दिल में , करने लगते खींचातानी ! गढ़ते नहीं भाव भी आकर फिर से कोई नयी कहानी ! नयनों में ले नीर सुनो तब, पीर सभी धो […]

कभी नहीं कुछ कहते आँसू/छाया त्रिपाठी ओझा

कभी नहीं कुछ कहते आँसू कभी नहीं कुछ कहते आँसू ! बस चुपके से बहते आँसू !! गिरतीं हों ज्यों जल की बूँदें, मौन वेदना आँखें मूँदें, बहती जाए अविरल धारा, पूछ पूछकर दिल भी हारा, नयनों तक से अपनी पीड़ा, व्यक्त नहीं है करते आँसू ! बस चुपके —————— सब जग के रिश्ते नातों […]

धरती अम्बर चाँद सितारे/छाया त्रिपाठी ओझा

धरती अम्बर चाँद सितारे धरती अम्बर चाँद सितारे ! खफा खफा लगते हैं सारे ! नहीं  बोलतीं  आज  हवाएँ चुप चुप सी हैं सभी दिशाएँ ! संदेशों की प्यारी पाती पढ़के अब हम किसे सुनाएँ गुमसुम हैं दिनकर भी प्यारे । खफा —————- दिवस लगे ज्यों सोया सोया नदियों झरनों का मन खोया ! इक […]

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