मैं प्रतीक्षारत रहूँगा
शेष उर में, श्वांस जब तक,या अखंडित आस जब तक
मैं प्रतीक्षारत रहूँगा , मैं प्रतीक्षारत रहूँगा।
हों न जाती पूर्ण जब तक, चिर प्रतीक्षित कामनाएं।
या न मिलती सिद्धि जब तक,निष्फलित सब साधनाएं।
तज न देता ताप जब तक, काम संयम से लिपटकर,
या बिलों में घुस न जाती, फन उठाती वासनाएं।
मन रचाता रास जब तक, भोगरत सन्यास जब तक,
मैं प्रतीक्षारत रहूँगा , मैं प्रतीक्षारत रहूँगा।
शेष उर में, श्वांस जब तक,या अखंडित आस जब तक
मैं प्रतीक्षारत रहूँगा , मैं प्रतीक्षारत रहूँगा।
चीथड़ों पर व्यंग्य कसता , रेशमी परिधान जब तक।
या न लेता थाम अपने, कान खुद अभिमान जब तक।
पेट का परिमाप जब तक, ले न लेती रिक्त थाली,
त्यक्त जूठन की न मिटती,या कुटिल मुस्कान जब तक।
दूर मुख से ग्रास जब तक,कण्ठ में है प्यास जब तक,
मैं प्रतीक्षारत रहूँगा , मैं प्रतीक्षारत रहूँगा।
शेष उर में, श्वांस जब तक,या अखंडित आस जब तक
मैं प्रतीक्षारत रहूँगा , मैं प्रतीक्षारत रहूँगा।
लेखनी जब तक न हंसकर, वेदना के गीत लिख दे।
हार मस्तक पर न अरि के,चढ़ स्वघोषित जीत लिख दे।
पाठकों की आंख जब तक, नम न कर दें गीत मेरे,
या न अधरों पर ठहर कर, बूँद कोई प्रीत लिख दे।
सुधि सुकोमल पास जब तक,है अटल विश्वास जब तक,
मैं प्रतीक्षारत रहूँगा,मैं प्रतीक्षारत रहूँगा।
शेष उर में, श्वांस जब तक, या अखंडित आस जब तक,
मैं प्रतीक्षारत रहूँगा , मैं प्रतीक्षारत रहूँगा।
लेखक
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पूरा नाम - सुनील कुमार त्रिपाठी पिता का नाम - स्व. पंडित चन्द्र दत्त त्रिपाठी "शास्त्री" माता जी का नाम- स्व.रामपति त्रिपाठी जन्म तिथि - ९ अगस्त १९६८ स्थायी निवासी - ग्राम-पीरनगर पोस्ट -कमलापुर ,जिला-सीतापुर निवास जन्म से लखनऊ में- स्थानीय पता:- 288/204 आर्यनगर लखनऊ -226004
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