चुल्लू भर भर आँसू तोले
जहाँ – जहाँ,सम्बन्ध टटोले।
मिले वहीं पर, पड़े फफोले।
निष्ठा ने कंधे पर अपने
झूठे अभियोगों को ढोया।
स्वप्न वही हो गया विखण्डित,
जिसको जितना अधिक सँजोया।
त्याग,समर्पण,और प्रेम ने,
समय समय पर बदले चोले।
जहाँ – जहाँ ,.सम्बन्ध टटोले।
मिले वहीं पर, पड़े फफोले।
निकला सगा न वह चूल्हा भी,
जिस पर फूल रही थी रोटी।
जिसे किया सर्वस्व समर्पित,
उस चिमटे ने भरी चिकोटी।
निश्छलता को,छला उसी ने
जिसके लिए हृदय पट खोले।
जहाँ -जहाँ,सम्बन्ध टटोले।
मिले वहीं पर, पड़े फफोले।
अनुबन्धों की सजी दुकानें,
संबन्धों के आजू बाजू।
मोल भाव में,जुटी जिंदगी
स्वयं हाथ में लिए तराजू।
मुट्ठी भर खुशियों के बदले,
चुल्लू भर भर आँसू तोले।
जहाँ – जहाँ,सम्बन्ध टटोले।
मिले वहीं पर, पड़े फफोले।
लेखक
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पूरा नाम - सुनील कुमार त्रिपाठी पिता का नाम - स्व. पंडित चन्द्र दत्त त्रिपाठी "शास्त्री" माता जी का नाम- स्व.रामपति त्रिपाठी जन्म तिथि - ९ अगस्त १९६८ स्थायी निवासी - ग्राम-पीरनगर पोस्ट -कमलापुर ,जिला-सीतापुर निवास जन्म से लखनऊ में- स्थानीय पता:- 288/204 आर्यनगर लखनऊ -226004
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