रहे याद जो वो फसाना लिखेंगे।
कलम से पुराना ज़माना लिखेंगे।।
तुम्हीं से गुलिस्तां सहर शाम मेरे।
मुहब्बत भरा इक तराना लिखेंगे।।
जरा सा सहारा मिला जो तुम्हारा।
उसे हम हमारा खज़ाना लिखेंगे।।
कहे गर ज़माना बताओ पता अब।
तुम्हारे नयन को ठिकाना लिखेंगे।।
लबों पर तबस्सुम रहेगी हमेशा।
हक़ीक़त सनम हम छुपाना लिखेंगे।।
पता पूछते हो हमारे गिलों का।
तुम्हारी नजर को निशाना लिखेंगे।।
न आए जुदाई कभी जिंदगी में।
दुआ में ख़ुदा को मनाना लिखेंगे।।
छुपा है नजर में समंदर ए उल्फत।
मुहब्बत में हम गुनगुनाना लिखेंगे।।
तुम्हारी रज़ा में रज़ा है हमारी।
कभी हम न शिकवे सुनाना लिखेंगे।।
रहे याद जो वो फसाना लिखेंगे/ग़ज़ल/नन्दिता शर्मा माजी
