मेरे हैं भगवान पिताजी/शिव कुमार दीपक

लेखक

  • शिव कुमार ‘दीपक’
    पिता - स्व०श्री खुशाली राम बघेल
    माता - स्व०श्रीमती चन्द्रवती देवी
    जन्म तिथि - 10अगस्त 1975
    प्रकाश्य कृति - दोहा संग्रह और कुण्डलिया संग्रह
    प्रकाशन -
    समकालीन दोहा कोश (सं०- हरेराम समीप ) में दोहे एवं परिचय प्रकाशित, के अलावा देश के लोकप्रिय दोहा संकलन, दोहा विशेषांक, कुण्डलिया विशेषांक , कई अप्राप्त पुस्तकों ,शोध ग्रंथों एवं देश की विभिन्न साहित्यक पत्र-पत्रिकाओं, अमर उजाला, दैनिक जागरण, DLA दैनिक पत्र, प्रावदा दैनिक,दैनिक नवाचार, दि ग्राम टुडे(मासिक), दैनिक हरियाणा प्रदीप, दर्जनों साप्ताहिक पत्रों आदि में रचनाओं का अनवरत प्रकाशन ।
    प्रसारण- आकाशवाणी मथुरा और आकाशवाणी दिल्ली से कविताओं का प्रसारण ।
    सम्मान - 1-साहित्यिक सांस्कृतिक कला संगम अकादमी (प्रतापगढ़) द्वारा वर्ष 2008 का हिंदी सेवी सम्मान ।
    2- विमल साहित्य सदन (मथुरा) द्वारा वर्ष 2009 में ‘दोहा श्री ‘ की मानद उपाधि से सम्मानित ।
    3- यू.एस.एम. पत्रिका द्वारा वर्ष 2010 का राष्ट्रीय हिंदी सेवी सम्मान ।
    4- राम रहमान साहित्यिक सांस्कृतिक संस्थान (बस्ती ) द्वारा प्रतिष्ठित ‘डॉ० लक्ष्मी नारायण लाल पुरस्कार वर्ष 2016 ‘ से सम्मानित ।
    5- अखिल भारतीय साहित्य परिषद ( ब्रज प्रान्त ) द्वारा ‘ ब्रज गौरव सम्मान ‘ वर्ष 2016 में सम्मानित ।
    E mail - kavishivkumardeepak@gmail.com
    पता- गाँव- बहरदोई , पत्रालय- आरती
    जनपद- हाथरस ( उ० प्र० )

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घर की हैं मुस्कान पिताजी ।
मेरे हैं भगवान पिताजी ।।

माँ है मेरी धरती जैसी,
हैं आकाश समान पिताजी ।

माता घर की नींव सरीखी,
सिर को ढके मकान पिताजी ।

माँ है गीता रामायण- सी,
बातों से विज्ञान पिताजी ।

रात – दिना वे महनत करते,
हैं मजदूर किसान पिताजी ।

आफत आयी तूफानों- सी,
बने रहे चट्टान पिताजी ।

अनुशासन में रखते सबको,
घर के हैं कप्तान पिताजी ।

मीठी बातें मिश्री जैसी,
सचमुच हैं रसखान पिताजी ।

सत्य, अहिंसा, समता वादी,
जन प्रेमी रहमान पिताजी ।

बच्चों के हित अपनी इच्छा,
करते हैं कुर्बान पिताजी ।

बिना इजाजत कौन गया घर,
वृद्ध बने दरबान पिताजी ।

शिव कुमार दीपक

मेरे हैं भगवान पिताजी/शिव कुमार दीपक

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