मन की बात – दोहों के साथ
विनती करती नन्दिता, सुन लो मन की बात।
करनी का संज्ञान लो, हो कोई भी जात।।१।।
मन में हो सद्भावना, शिक्षित हो परिवार।
संस्कृति का उत्थान हो, मन से मिटे विकार।।२।।
अधिकारों को यश मिले, हो रक्षित परिवेश।
दुष्कर्मौं का नाश हो, द्वेष न रखना न लेश।।३।।
आत्मनिर्भर बनें सभी, हो सशक्त संकल्प।
संगठित हो रहें अडिग , बैर नहीं हो अल्प।।४।।
समाधान हो सन्धि से, समर न करो चुनाव।
मार्ग मैत्री परम सुखद, त्यागो द्वेष अलाव।।५।।
कृत्य प्राथमिक हो सदा, फल उसके अनुसार।
धर्म कर्म के नाम पर, हो न मिथ्या प्रचार।।६।।
वाणी कोमल बोलिये, कटुता देती घात।
धैर्य धार सुनिए सदा, जन के मन की बात।।७।।
मन की बात – दोहों के साथ/दोहा/ नन्दिता माजी शर्मा
