मौन और मुस्कान हैं, जीवन के हथियार ।
पहला रक्षा कवच है, दूजा स्वागत द्वार ।।-1
सज्जन संग न कीजिये, कभी बुरा व्यवहार ।
वरना सुंदर कांच भी, टूट बने हथियार ।।-2
कोशिश अंतिम सांस तक, करें आप श्रीमान ।
लक्ष्य मिलेगा आपको , या पाओगे ज्ञान ।।-3
बिलख-बिलख रोता रहा, तजना पड़ा शरीर।
मिलकर सबने बांट ली, बची हुई जागीर।।-4
लालच के दाने पड़े, भावुकता का जाल ।
चुगना पंक्षी ध्यान से, आखेटक वाचाल ।।-5
रखा बाज ने शान्ति का, प्रेम सहित प्रस्ताव ।
चिड़ियों में सरपंच का, लगता पास चुनाव ।।-6
बांटे बहू पड़ौस में, भरे छाछ के जार ।
सास ससुर परिवार में, रहते मन को मार ।। 7
घड़ा भरा ज्यों नीर से, छलके कब श्रीमान ।
वही दिखावा कर रहा, जिसे अल्प- सा ज्ञान ।।-8
क्यों करता अभिमान तू, खुद पर ऐ- इंसान ।
मिले सैकड़ों खाक में, तुझ जैसे नादान ।।-9
बुरे दौर से भागना, होता है आसान ।
करे सामना धैर्य से, वही वीर इंसान ।।-10
इच्छाएं नाखून – सी , रहें काटते आप ।
वरना दुख का उम्र भर, झेलेंगे अभिशाप ।।-11
बोएं मन के खेत में, सद्भावों के गान ।
आओ सीचें प्रेम से, अपना हिंदुस्तान ।।-12
शिव कुमार ‘दीपक’
