आओ सीचें प्रेम से, अपना हिंदुस्तान/शिव कुमार ‘दीपक’

मौन और मुस्कान हैं, जीवन के हथियार ।

पहला रक्षा कवच है,  दूजा स्वागत द्वार ।।-1

सज्जन संग न कीजिये, कभी बुरा व्यवहार ।

वरना  सुंदर  कांच  भी,  टूट  बने  हथियार ।।-2

कोशिश अंतिम सांस तक, करें आप श्रीमान ।

लक्ष्य  मिलेगा  आपको ,  या  पाओगे  ज्ञान ।।-3

बिलख-बिलख रोता रहा, तजना पड़ा शरीर।

मिलकर  सबने  बांट  ली, बची  हुई  जागीर।।-4

लालच के दाने पड़े, भावुकता का जाल ।

चुगना पंक्षी ध्यान से, आखेटक वाचाल ।।-5

रखा बाज ने शान्ति का, प्रेम सहित प्रस्ताव ।

चिड़ियों  में सरपंच का, लगता पास चुनाव ।।-6

बांटे  बहू  पड़ौस में, भरे  छाछ  के  जार ।

सास ससुर परिवार में, रहते मन को मार ।। 7

घड़ा भरा  ज्यों नीर से, छलके  कब  श्रीमान ।

वही दिखावा कर रहा, जिसे अल्प- सा ज्ञान ।।-8

क्यों करता अभिमान तू, खुद पर ऐ- इंसान ।

मिले  सैकड़ों  खाक में,  तुझ  जैसे  नादान ।।-9

बुरे  दौर  से  भागना,  होता  है  आसान ।

करे  सामना  धैर्य  से, वही  वीर  इंसान ।।-10

इच्छाएं  नाखून –  सी ,  रहें  काटते  आप ।

वरना दुख का उम्र भर, झेलेंगे  अभिशाप ।।-11

बोएं मन के खेत में, सद्भावों  के  गान ।

आओ सीचें प्रेम से, अपना हिंदुस्तान ।।-12

शिव कुमार ‘दीपक’

आओ सीचें प्रेम से, अपना हिंदुस्तान/शिव कुमार ‘दीपक’

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