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बाल साहित्य

अंतरिक्ष की सैर / त्रिलोक सिंह ठकुरेला

नभ में तारे कई देखकर एक दिन बबलू बोला। अंतरिक्ष की सैर करें, माँ ले आ उड़न खटोला॥ कितने प्यारे लगते हैं ये आसमान के तारे। कौतूहल पैदा करते हैं मन में रोज हमारे॥ झिलमिल झिलमिल करते रहते हर दिन हमें इशारे। रोज भेज देते हैं हम तक किरणों के हरकारे॥ कोई ग्रह तो होगा […]

उपवन के फूल/त्रिलोक सिंह ठकुरेला

हम उपवन के फूल मनोहर सब के मन को भाते। सब के जीवन में आशा किरणें नई जगाते ।। हिलमिल-हिलमिल महकाते हैं मिलकर क्यारी-क्यारी। सदा दूसरों के सुख दें, यह चाहत रही हमारी।। कांटो से घिरने पर भी, सीखा हमने मुस्काना। सारे भेद मिटाकर सीखा सब पर नेह लुटाना॥ तुम भी जीवन जियो फूल सा, […]