टार्च बेचने वाले/हरिशंकर परसाई
वह पहले चौराहों पर बिजली के टार्च बेचा करता था । बीच में कुछ दिन वह नहीं दिखा । कल फिर दिखा । मगर इस बार उसने दाढी बढा ली थी और लंबा कुरता पहन रखा था । मैंने पूछा, ”कहाँ रहे? और यह दाढी क्यों बढा रखी है? ” उसने जवाब दिया, ”बाहर गया […]