+91-9997111311,    support@sahityaratan.com

लघुकथा

लघु-कथाएँ/चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’

गालियां एक गांव में बारात जीमने बैठी । उस समय स्त्रियां समधियों को गालियां गाती हैं, पर गालियां न गाई जाती देख नागरिक सुधारक बाराती को बड़ा हर्ष हुआ । वहग्राम के एक वृद्ध से कह बैठा, “बड़ी खुशी की बात है कि आपके यहाँ इतनीतरक्की हो गई है।” बुड्ढा बोला, “हाँ साहब, तरक्की हो […]

ईश्वर को चुनौती/अनिता रश्मि

उसकी हथेलियों पर आ बैठी धूप गौरैया सी, जब उसने खिड़की के सामने अपनी हथेलियाँ फैलाईं। उसने झट दोनों हथेलियाँ बंद कर लीं। मुट्ठी में नहीं समा पाई धूप। छिटक कर बाहर आ गई। बंद मुट्ठी के ऊपर। उसने पिछले महीने ही फ्लैट में गृहप्रवेश पूजा की थी। तब से धूप के एक-एक कतरे के […]

हिरणी/अनिता रश्मि

जंगल से बाहर आते ही कोमल, मासूम, खूबसूरत आँखोंवाली हिरणी शिकारियों से घिर गई। भागने की कोशिश करती। और घिर जाती। उसने अपने अंदर की ताकत को जगाया। शिकारियों को अपने सींग से घायल कर कुलांचें मारती उनके चंगुल से नौ दो ग्यारह! जंगल में वापस आकर सुस्ताने लगी। बैठ गई। अभी भी आँखों में […]

शंका/डॉ पद्मावती

गणेश उत्सव की तैयारियाँ चल रही थी । वह भगवान की मूर्तियाँ बनाता था । मिट्टी की मूर्तियों में जान फूंक देता था । आज अचानक मूर्ति पर काम करते हुए उसके हाथ रुक गए । एक प्रश्न कुछ दिन से मन को मथ रहा था । आज पूछ ही डाला ! “कुछ कहना है…देखो […]

समर्पण/डॉ पद्मावती

“ओह! यह क्या? मैं  पारिजात समर्पित कर रही हूँ पर आपके  शरीर पर ये तुलसी के पत्ते कहाँ से आ रहे हैं ? कहीं ये चाल रुक्मिणी की तो नहीं माधव”? कन्हैया के अधरों की मुस्कान देख सत्याभामा झुंझला उठी । । “ न प्रिये न । तुम हमेशा रुक्मिणी को ही दोषी मानती हो […]

×