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पूर्वोत्तर से

वाणी/दया शर्मा

वाणी की महिमा  अपरम्पार है  । इसका अपना  अथाह संसार है। वाणी  दिलों में  चाहत भरती है। कभी ये ही दिलों  को आहत करती है वाणी  से रिश्ते संवरते हैं । कड़वे बोलों  से ये बिखरते  हैं। मीठी वाणी  लोगों  में  मान बढाती  । दुरुपयोग हो वाणी का तो ये समाज में  शान घटाती । […]

फ़ितरत/दया शर्मा

फ़ितरत में जिनके प्यार हो नफरत  भला वे क्यों करें। अच्छे ही हों सब ,इस बात की हसरत भला वे क्यों करें । कौन जाने छूटे  कब साथ किसी का ज़हमत दूरियों की भला क्यों करें! ले कर चलते हैं जो साथ सभी का हिमाक़त  न तोहमत लगाने की हम करें। उल्फ़त ही  क़वायद  है […]

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