स्वर्णधूलि/सुमित्रानंदन पंत
मुझे असत् से मुझे असत् से ले जाओ हे सत्य ओर मुझे तमस से उठा, दिखाओ ज्योति छोर, मुझे मृत्यु से बचा, बनाओ अमृत भोर! बार बार आकर अंतर में हे चिर परिचित, दक्षिण मुख से, रुद्र, करो मेरी रक्षा नित! स्वर्णधूलि स्वर्ण बालुका किसने बरसा दी रे जगती के मरुथल मे, सिकता पर स्वर्णांकित […]