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नाटक

करुणालय/गीतिनाट्य/जयशंकर प्रसाद

पात्र-परिचय : करुणालय (गीतिनाट्य) पुरुष- हरिश्चन्द्र : अयोध्या के महाराज रोहित : युवराज वसिष्ठ : ऋषि विश्वामित्र : ऋषि शुनःशेफ : अजीगर्त का पुत्र शक्ति : वसिष्ठ का पुत्र मधुच्छन्द : विश्वामित्र के सौ पुत्रों में ज्येष्ठ ज्योतिष्मान् : सेनापति स्त्री- तारिणी : अजीगर्त की स्त्री सुव्रता : दासी-रूप में विश्वामित्र की गन्धर्व-विवाहिता स्त्री यह […]

उर्वशी चम्पू-नाटक/जयशंकर प्रसाद

श्री शिवजी सहाय निवेदन परमश्रद्धास्पद – श्रीयुत् बाबू देवी प्रसाद सुंघनी साहु पूज्यपाद स्वर्गीय पितृदेव! आपका वह विद्यानुराग जो वात्सल्य प्रेम के साथ हमारे ऊपर था, उसी के द्वारा यह बीज इस क्षुद्र हृदय में अंकुरित हुआ, यह क्षुद्र पुस्तक उसी का फल है, इसमें उस प्रदेश की भी कुछ बातें हैं जहाँ कि आप […]

जन्मेजय का नाज्ञ-यज्ञ/नाटक/जयशंकर प्रसाद

प्राक्कथन इस नाटक की कथा का सम्बन्ध एक बहुत प्राचीन स्मरणीय घटना से है। भारत- वर्ष में यह एक प्राचीन परम्परा थी कि किसी क्षत्रिय राजा के द्वारा कोई ब्रह्महत्या या भयानक जनक्षय होने पर उसे अश्वमेध यज्ञ करके पवित्र होना पड़ता था। रावण को मारने पर श्री रामचन्द्र ने तथा और भी कई बड़े-बड़े […]

स्कंदगुप्त/नाटक/जयशंकर प्रसाद

पात्र पुरुष-पात्र स्कंदगुप्त– युवराज (विक्रमादित्य) कुमारगुप्त– मगध का सम्राट गोविन्दगुप्त– कुमारगुप्त का भाई पर्णदत्त– मगध का महानायक चक्रपालित– पर्णदत्त का पुत्र बन्धुवर्मा– मालव का राजा भीमवर्मा– उसका भाई मातृगुप्त– काव्यकर्ता (कालिदास) प्रपंचबुद्धि– बौद्ध कापालिक शर्वनाग– अन्तर्वेद का विषयपति कुमारदास (धातुसेन)– सिंहल का राजकुमार पुरगुप्त– कुमारगुप्त का छोटा पुत्र भटार्क– नवीन महाबलाधिकृत पृथ्वीसेन– मंत्री कुमारामात्य खिगिल– […]

ध्रुवस्वामिनी/नाटक/जयशंकर प्रसाद

प्रथम अंक : ध्रुवस्वामिनी (शिविर का पिछला भाग जिसके पीछे पर्वतमाला की प्राचीर है, शिविर का एक कोना दिखलाई दे रहा है जिससे सटा हुआ चन्द्रातप टँगा है। मोटी-मोटी रेशमी डोरियों से सुनहले काम के परदे खम्भों से बँधे हैं। दो-तीन सुन्दर मंच रखे हुए हैं। चन्द्रातप और पहाड़ी के बीच छोटा-सा कुंज, पहाड़ी पर […]

अजातशत्रु/नाटक/जयशंकर प्रसाद

कथा प्रसंग-अजातशत्रु इतिहास में घटनाओं की प्रायः पुनरावृत्ति होते देखी जाती है। इसका तात्पर्य यह नहीं है कि उसमें कोई नई घटना होती ही नहीं। किन्तु असाधारण नई घटना भी भविष्यत् में फिर होने की आशा रखती है। मानव-समाज की कल्पना का भण्डार अक्षय है, क्योंकि वह इच्छा-शक्ति का विकास है। इन कल्पनाओं का, इच्छाओं […]

आगरा बाजार/हबीब तनवीर

(नज़ीर अकबराबादी 18 वीं सदी के भारतीय शायर थे, जिन्हें नज्म का पिता कहा जाता है। उनकी सबसे प्रसिद्ध व्यंग्यात्मक गजल ‘बंजारानामा’ है। वे धर्म-निरपेक्ष व्यक्ति थे। हबीब तनवीर ने ‘नज़ीर अकबराबादी’ को प्रतिष्ठित करने के लिए ही आगरा बाजार नाटक लिखा था। आगरा बाजार’ नाटक का रचना काल 1954 है। स्थान आगरा के ‘किनारी […]

कारतूस/हबीब तनवीर

(बच्चों का नाटक, वज़ीर अली माज़ूल शाहे अवध पर) पात्र 1. कर्नल 2. लेफ्टिनेंट 3. सिपाही (गोरा) 4. सवार समय : 1799 रात दृश्य : लड़ाई का खेमा (गोरखपुर के जंगल में कर्नल कॉलिंस के खेमे का अंदरूनी हिस्सा, कर्नल एक अंग्रेज़ लेफ्टिनेंट के साथ बैठे बातें कर रहा है । खेमे के बाहर चाँदनी […]

चाँदी का चमचा/हबीब तनवीर

पात्र 1. दुकानदार 2. पड़ोसिन 3. मित्र 4. कुछ पड़ोसी 5. टोनी समय : प्रातः काल खेल की अवधि : दस मिनट स्थान : सड़क के किनारे बंबई शहर का एक तिमंजिला मकान काल : वर्तमान (मंच ऐसा हो मानो एक सड़क है जो दाएँ से बाएँ जाती है। इस सड़क पर चलने वालों के […]

नदी प्यासी थी/धर्मवीर भारती

पात्र परिचय राजेश: शर्मा शंकर: दत्त डॉ. कृष्‍णस्‍वरूप कक्कड़ पद्मा: शीला: घटना-काल सन 1949 की बरसात प्रथम दृश्‍य एक कमरा जो स्‍पष्‍टत किसी लड़की का मालूम पड़ता है क्‍योंकि स्‍वच्‍छ है किन्‍तु सुरुचिविहीन है। सामान बड़ी तरतीब से लगा है पर उस तरतीब से नहीं जिससे कलाभवन में चित्र लगे रहते हैं, बल्कि वैसे जैसे […]