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नाटक

आगरा बाजार/हबीब तनवीर

(नज़ीर अकबराबादी 18 वीं सदी के भारतीय शायर थे, जिन्हें नज्म का पिता कहा जाता है। उनकी सबसे प्रसिद्ध व्यंग्यात्मक गजल ‘बंजारानामा’ है। वे धर्म-निरपेक्ष व्यक्ति थे। हबीब तनवीर ने ‘नज़ीर अकबराबादी’ को प्रतिष्ठित करने के लिए ही आगरा बाजार नाटक लिखा था। आगरा बाजार’ नाटक का रचना काल 1954 है। स्थान आगरा के ‘किनारी […]

कारतूस/हबीब तनवीर

(बच्चों का नाटक, वज़ीर अली माज़ूल शाहे अवध पर) पात्र 1. कर्नल 2. लेफ्टिनेंट 3. सिपाही (गोरा) 4. सवार समय : 1799 रात दृश्य : लड़ाई का खेमा (गोरखपुर के जंगल में कर्नल कॉलिंस के खेमे का अंदरूनी हिस्सा, कर्नल एक अंग्रेज़ लेफ्टिनेंट के साथ बैठे बातें कर रहा है । खेमे के बाहर चाँदनी […]

चाँदी का चमचा/हबीब तनवीर

पात्र 1. दुकानदार 2. पड़ोसिन 3. मित्र 4. कुछ पड़ोसी 5. टोनी समय : प्रातः काल खेल की अवधि : दस मिनट स्थान : सड़क के किनारे बंबई शहर का एक तिमंजिला मकान काल : वर्तमान (मंच ऐसा हो मानो एक सड़क है जो दाएँ से बाएँ जाती है। इस सड़क पर चलने वालों के […]

नदी प्यासी थी/धर्मवीर भारती

पात्र परिचय राजेश: शर्मा शंकर: दत्त डॉ. कृष्‍णस्‍वरूप कक्कड़ पद्मा: शीला: घटना-काल सन 1949 की बरसात प्रथम दृश्‍य एक कमरा जो स्‍पष्‍टत किसी लड़की का मालूम पड़ता है क्‍योंकि स्‍वच्‍छ है किन्‍तु सुरुचिविहीन है। सामान बड़ी तरतीब से लगा है पर उस तरतीब से नहीं जिससे कलाभवन में चित्र लगे रहते हैं, बल्कि वैसे जैसे […]

अंधा युग/धर्मवीर भारती

पात्र अश्वत्थामा, गान्धारी, विदुर, धृतराष्ट्र, युधिष्ठिर, कृतवर्मा, कृपाचार्य, संजय, युयुत्सु, वृद्ध याचक, गूँगा भिखारी, प्रहरी 1, प्रहरी 2, व्यास, बलराम, कृष्ण घटना–काल महाभारत के अट्ठारहवें दिन की संध्या से लेकर प्रभास-तीर्थ में कृष्ण की मृत्यु के क्षण तक। स्थापना [नेपथ्य से उद्घोषणा तथा मंच पर नर्त्तक के द्वारा उपयुक्त भावनाट्य का प्रदर्शन। शंख-ध्वनि के साथ […]

अंधेर नगरी चौपट्ट राजा/भारतेन्दु हरिश्चंद्र

ग्रन्थ बनने का कारण बनारस में बंगालियों और हिन्दुस्तानियों ने मिलकर एक छोटा सा नाटक समाज दशाश्वमेध घाट पर नियत किया है, जिसका नाम हिंदू नैशनल थिएटर है। दक्षिण में पारसी और महाराष्ट्र नाटक वाले प्रायः अन्धेर नगरी का प्रहसन खेला करते हैं, किन्तु उन लोगों की भाषा और प्रक्रिया सब असंबद्ध होती है। ऐसा […]

भारतदुर्दशा/भारतेन्दु हरिश्चंद्र

भारतदुर्दशा पहला अंक मंगलाचरण जय सतजुग-थापन-करन, नासन म्लेच्छ-आचार। कठिन धार तरवार कर, कृष्ण कल्कि अवतार ।। स्थान – बीथी (एक योगी गाता है) (लावनी) रोअहू सब मिलिकै आवहु भारत भाई। हा हा! भारतदुर्दशा न देखी जाई ।। धु्रव ।। सबके पहिले जेहि ईश्वर धन बल दीनो। सबके पहिले जेहि सभ्य विधाता कीनो ।। सबके पहिले […]

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