सर्वोत्तम उद्योग/अवनीश सिंह चौहान
छार-छार हो पर्वत दुख का ऐसा बने सुयोग गलाकाट इस ‘कंप्टीशन’ में मुश्किल सर्वप्रथम आ जाना शिखर पा गए किसी तरह तो मुश्किल है उस पर टिक पाना सफल हुए हैं इस युग में जो ऊँचा उनका योग बड़ी-बड़ी ‘गाला’ महफिल में कितनी हों भोगों की बातें और कहीं टपरे के नीचे सिकुड़ी […]