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आलेख, विमर्श व शोध

कुंडलिया छंद की विकास यात्रा/आलेख/डॉ. बिपिन पाण्डेय

कुंडलिया शब्द की उत्पत्ति ‘कुंडलिन’ या ‘कुंडल’ शब्द से हुई है। कुंडल का अर्थ है- गोल अथवा वर्तुलाकार वस्तु। सर्प के बैठने की मुद्रा ‘कुंडली’ कहलाती है। जब वह बैठता है तो उसकी पूँछ और मुख आपस में एक दूसरे के पास दिखते हैं। कुंडलिया शब्द सर्प की इसी कुंडली की आकृति से लिया गया […]

एक कड़वा सच ये भी/अनिरुद्ध पाण्डेय

धीरे – धीरे सब कुछ बदल रहा है, ये दुनियां एक नई रूप ले रही है और इस बदलती दौर में प्रेम ने तो अपना सहचर ही बदल लिया, अत्यंत सुंदर और अपने इस वशीकरण के रूप से आज की युवा पीढ़ी को आकर्षित कर रही है। कितने ही हास्यस्पद की बात है की इस […]

इतिहास की कल्पना/विष्णुकान्त उपाध्याय

इतिहास (पु०), इति+ह+ आस (अस् धातु लिट् लकार, अन्य पुं०), इतिहास (परंपरा से प्राप्त उपाख्यान समूह) धर्मार्थकाममोक्षाणामुपदेश समन्वितं पूर्ववतं कथायुक्त मितिहासं प्रचक्षते (वीरगाथा) * जैसे की महाभारत (ऐतिहासिक साक्ष्य परंपरा, जिसको. पौराणिक एवं प्रमाण मानते हैं। – लोगों में एक धारणा सी फैली हुई है। कि भारत वर्ष के साहित्य में ऐतिहासिक ग्रंथों का अस्तित्व […]

शिक्षा के आदर्शों में परिवर्तन/चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’

पहले यह माना जाता था कि विद्या कोई बाहरी चीज़ है जिसे गुरु पढ़नेवाले के हृदय में घुसेड़ता है। पढ़नेवाले का हृदय कोरा काग़ज़ है और उस पर गुरु नए अक्षर और नए संस्कार अंकित करता है। उसके ख़ाली मस्तिष्क में या पोल मन में कोई बहुमूल्य पदार्थ बाहर से भरा जाता है जैसा कि […]

आओ दोहा लिखें/रघुविन्द्र यादव

आज दोहा लोकप्रियता के शिखर पर, इसलिए हर रचनाकार चाहता है कि वह भी दोहे लिखे| किन्तु दोहा जितना छोटा और सीधा दिखता है, लिखना उतना सरल नहीं है| परिणामस्वरूप बहुत कम लोग ही मानक दोहे लिख पाते हैं| क्योंकि- दीरघ दोहा अर्थ के, आखर थोरे आहि| ज्यों रहीम नट कुंडली, सिमिट कूद चलि जाहि|| […]

निर्दोष दोहे कैसे लिखें/राजेन्द्र वर्मा

एक अच्छे दोहे की रचना के लिए चार बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है : लय, तुकांत, भाषा और भाव-संयोजन 1- लय जहाँ तक लय का संबंध है, सभी दोहाकार जानते हैं कि दोहे में चार चरण होते हैं : पहला और तीसरा तेरह मात्राओं का तथा दूसरा और चौथा ग्यारह का। लेकिन लय सुनिश्चित […]

हिन्दी और महिला साहित्यकार/अलका शर्मा

हजारों वर्षों तक अवहेलना की बलि वेदी पर चढी हुई महिलाओं ने आज के युग में अपनी सामर्थ्य को पहचानकर प्रगति पथ पर आगे क़दम बढ़ाए हैं। कोई भी क्षेत्र हो अपनी योग्यता को साबित किया है। साहित्य के क्षेत्र में भी महिलाएं पीछे नहीं हैं।इस क्षेत्र में भी अपने सामर्थ्य को सिद्ध कर रही […]

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