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पद्य

कंवल उस झील के सारे उदास रहते हैं/ग़ज़ल/प्रेमकिरण

कंवल उस झील के सारे उदास रहते हैं हंसेंगे कब वो शिकारे उदास रहते हैं नदी की तेज़ रवानी में बह गये कुछ लोग जो रह गये हैं किनारे उदास रहते हैं मेरी ही तर्ह उन्हें इंतज़ार है तेरा अब आ भी जा कि सितारे उदास रहते हैं घरों में आग लगा कर जो मुस्कुराते […]

सुर्ख़रू होकर हंसेंगे सुब्ह के मंज़र कभी/ग़ज़ल/प्रेमकिरण

सुर्ख़रू होकर हंसेंगे सुब्ह के मंज़र कभी ये अंधेरे ख़ून थूकेंगे जमीनों पर कभी मौसमों का सिलसिला यूं ही रहा तो देखना फूल पत्थर बन के बरसेंगे तुम्हारे घर कभी इक परिंदे का लहू तूफ़ान लेकर आयेगा आग बन जायेंगे ये नोचे हुए शहपर कभी याद आता है मुझे हंसता हुआ नन्हा दिया काटने को […]

असर उसके जादू का ऐसा हुआ/ग़ज़ल/प्रेमकिरण

असर उसके जादू का ऐसा हुआ मैं सोया हुआ हूं न जाग हुआ अब उसका सितारा बुलंदी पे है जिसे छू लिया वो सितारा हुआ ़ वो क़तरे से दरिया बना एक दिन तभी क़ह्र सा हम पे बरपा हुआ परिंदे ठिकाने बदलने लगे फ़िज़ाओं में है ज़ह्र फैला हुआ मैं क़ातिल को क़ातिल कहूं […]

मज़हब के इस जुनून का बतलायें हाल क्या/ग़ज़ल/प्रेमकिरण

मज़हब के इस जुनून का बतलायें हाल क्या बोये हुए को काट रहे हैं मलाल क्या गुलशन लहूलुहान मनाज़िर से भर गया कुछ वहशियों ने ओढ़ ली इंसा की खाल क्या बेचैन लग रही हैं समुंदर मेंं मछलियां कश्ती मेंं नाख़ुदा ने छुपाया है जाल क्या खेतों मेंं धूल उड़ती नज़र आई चार सू भारी […]

अभी तलक तो थीं दोनों के दरम्यां बातें/ग़ज़ल/प्रेमकिरण

अभी तलक तो थीं दोनों के दरम्यां बातें जो हद से गुज़रीं तो पहुंची यहां वहां बातें हम एक छत के तले अजनबी से रहते हैं किसी से कोई भी करता है अब कहां बातें हम अपनी अपनी अना पर अड़े रहे तो फिर सुलझ न पायेंगी दोनों के दरम्यां बातें हमें ही ढूंढ़ना है […]

ता’उम्र ज़माने से बना कर नहीं रक्खा/ग़ज़ल/प्रेमकिरण

ता’उम्र ज़माने से बना कर नहीं रक्खा हमने किसी चौखट पे कभी सर नहीं रक्खा उगता हुआ सूरज तो मुसव्विर ने दिखाया तस्वीर में जलता हुआ मंज़र नहीं रक्खा ये दुनिया नहीं वो जो तसव्वुर में है मेरे ताबीर को ख़्वाबों के बराबर नहीं रक्खा काग़ज़ के हसीं फूल ने आंखों को लुभाया दिल में […]

इस फ़िज़ा में ज़ह्र आख़िर किसने घोला कौन है/ग़ज़ल/प्रेमकिरण

इस फ़िज़ा में ज़ह्र आख़िर किसने घोला कौन है नाग ज़हरीला हमारे बीच ऐसा कौन है प्रेम और सद्भाव दोनों लापता हैं इन दिनों शह्र में अब चैन की बंशी बजाता कौन है सारी दुनिया जल रही है नफ़रतों की आग में रात-दिन इसको हवा यूं देने वाला कौन है सारे मायावी शिकारी हैं हमारे […]

हर तरफ़ इस जंग का अंजाम वो देखा कि बस/ग़ज़ल/प्रेमकिरण

हर तरफ़ इस जंग का अंजाम वो देखा कि बस ज़ेह्न चाहे जो कहे दिल से यही निकला कि बस मसअलों का हल कहीं भी जंग से मुमकिन नहीं जंग से फिर मसअला ऐसा खड़ा होगा कि बस इक हसीं दुनिया बसा कर उसने हमको सौंप दी इस मुहब्बत का सिला उसको मिला ऐसा कि […]

जो परीशान फ़सीलों के उधर है कोई/ग़ज़ल/प्रेमकिरण

जो परीशान फ़सीलों के उधर है कोई तो कहां चैन से इस ओर बशर है कोई कौन ख़ुशियों के निवालों को उड़ा देता है साफ़ दिखता तो नहीं चेहरा मगर है कोई ज़ख़्म की एक सी तहरीर रक़म है दिल पर पढ़ने वाला न इधर है न उधर है कोई शह्र वीरान हुआ कैसे ये […]

चौंक के जाग उठा नींद में सोने वाला/ग़ज़ल/प्रेमकिरण

चौंक के जाग उठा नींद में सोने वाला जाने किस ख़्वाब में डूबा था बिछोने वाला कम से कम क़त्ल का मंज़र तो न देखा उसने जागने वालों से अच्छा रहा सोने वाला मां आंचल पे हैं बच्चों के लहू के छींटें कोई आंसू नहीं इस दाग़ को धोने वाला जाने किस दिल से सुनाता […]

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