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गीत

फूल तुम्हें भेजा है/गीत/इंदीवर

फूल तुम्हें भेजा है ख़त में, फूल नहीं मेरा दिल है प्रीयतम मेरे तुम भी लिखना, क्या ये तुम्हारे क़ाबिल है प्यार छिपा है ख़त में इतना, जितने सागर में मोती चूम ही लेता हाथ तुम्हारा, पास जो मेरे तुम होती फूल तुम्हें भेजा है ख़त में … नींद तुम्हें तो आती होगी, क्या देखा […]

वक़्त करता जो वफ़ा आप हमारे होते/गीत/इंदीवर

वक़्त करता जो वफ़ा आप हमारे होते हम भी ग़ैरों की तरह आप को प्यारे होते वक़्त करता जो वफ़ा … अपनी तक़दीर में पहले ही कूछ तो ग़म हैं और कुछ आप की फ़ितरत में वफ़ा भी कम है वरन जीती हुई बाज़ी तो ना हारे होते वक़्त करता जो वफ़ा … हम भी […]

छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए/गीत/इंदीवर

छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए ये मुनासिब नहीं आदमी के लिए प्यार से भी ज़रूरी कई काम हैं प्यार सब कुछ नहीं ज़िंदगी के लिए तन से तन का मिलन हो न पाया तो क्या मन से मन का मिलन कोई कम तो नहीं खुशबू आती रहे दूर से ही सही सामने हो […]

है प्रीत जहाँ की रीत सदा/गीत/इंदीवर

जब ज़ीरो दिया मेरे भारत ने भारत ने मेरे भारत ने दुनिया को तब गिनती आई तारों की भाषा भारत ने दुनिया को पहले सिखलाई देता ना दशमलव भारत तो यूँ चाँद पे जाना मुश्किल था धरती और चाँद की दूरी का अंदाज़ लगाना मुश्किल था सभ्यता जहाँ पहले आई पहले जनमी है जहाँ पे […]

मेरे देश की धरती/गीत/इंदीवर

मेरे देश की धरती, सोना उगले, उगले हीरे मोती बैलों के गले में जब घुंघरू जीवन का राग सुनाते हैं गम कोसों दूर हो जाता है खुशियों के कँवल मुसकाते है सुन के रहट की आवाजें यूं लगे कहीं शहनाई बजे आते ही मस्त बहारों के दुल्हन की तरह हर खेत सजे मेरे देश की […]

मुझको तो सागर से गहरा/गीत/वसंत जमशेदपुरी

कर मेरे  पतवार थमा दो तो ही पार लगे। मुझको तो सागर से गहरा प्रिय का प्यार लगे।। हहराती नगपति से उतरी , चट्टानों से  टकराती । कुछ इतराती , कुछ घबराती, मन ही मन में पछताती। पिया-मिलन की आस सँजोए, बाबुल का घर छोड़ चली- टेढे़-मेढे़ रस्ते नापे, मैं इठलाती बलखाती । मुझको जीवन […]

आजा प्रीतम प्यारे/गीत/वसंत जमशेदपुरी

जब-जब मेघ झरे अंबर से झंझा पंथ बुहारे । तब-तब प्रीत-पखेरू बोले आजा प्रीतम प्यारे ।। ठंडी-ठंडी पुरवाई ये तन में अगन लगाए , रिमझिम-रिमझिम मेहा मेरे- मन की प्यास बढा़ए। गरज-तरज तन-मन को पीड़ित- करते घन-कजरारे ।। तपती धरती को अंबर ने हौले से दुलराया , जैसे परदेशी बालम बिन पाती द्वारे आया। और […]

मैं झोली में ले कर आया/गीत/वसंत जमशेदपुरी

मैं झोली में ले कर आया , कुछ मोती कुछ कंकड़-पत्थर। तुमको यदि स्वीकार नहीं तो , और नहीं कुछ इससे बेहतर ।। मैंने वचन दिया था तुमको , गीत तुम्हारे नाम लिखूँगा । जब-जब उगता सूरज देखूँ , दिलबर तुम्हें सलाम लिखूँगा। इसीलिए निकले हैं कैसे- गीत मेरे देखो सज-धज कर।।  गीत तुम्हारे अधरों […]

सर्वसुपूजित राम हैं/गीत/नन्दिता शर्मा माजी

सत्कर्मो की सोच जहाँ है, वहीं सुवन्दित राम हैं। जहाँ जहाँ मर्यादा है बस, वहीं उपस्थित राम हैं ।। निश्छल, निर्मल, उज्ज्वल उर हो, पावन धड़कन हो जिसमें। अटल प्रबल निश्चय हो जिसका, तनिक न विचलन हो जिसमें।। दृढ़ निश्चय प्रणबद्ध जहाँ है, कृतसंकल्पित राम हैं। जहाँ जहाँ मर्यादा है बस, वहीं उपस्थित राम हैं।। […]